गुजरात के भुज में एक अनोखा मामला देखने को मिला। एक आरोपी का केस लड़ने को कोई भी वकील तैयार नहीं था। यहां तक कि मुफ्त लीगल एड मुहैया कराने वाली DLSA भुज भी उसकी कोई सहायता नहीं कर सकी। आरोपी ने गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया। उसने गुहार लगाई कि वो खुद अपने केस की पैरवी कर रहा है। लेकिन उसे लगता है कि वो अपना बचाव नहीं कर पाएगा। ऐसे तो उसे बेवजह सजा हो जाएगी।

गुजरात हाईकोर्ट ने आरोपी की आशंका को सही माना। हाईकोर्ट ने उसके केस को तुरंत प्रभाव से पड़ोस के मोरबी जिले में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। जस्टिस इलेश जे वोरा ने अपने फैसले में कहा कि उसे आरोपी की आशंका सही लगती है, क्योंकि भुज की बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पास कर रखा है कि कोई भी वकील उसका केस नहीं लड़ेगा। इसी वजह से DLSA भी उसे सहायता मुहैया नहीं करा पा रही है।

हाईकोर्ट ने भुज से मोरबी ट्रांसफर किया केस

जस्टिस इलेश जे वोरा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का भी मानना है कि किसी भी मामले में आरोपी को फेयर ट्रायल का अवसर मिलना चाहिए। बार का रुख देखते हुए हमें लगता है कि भुज में आरोपी को न्याय नहीं मिल सकेगा। कोई वकील उसकी पैरवी ही नहीं करेगा तो वो अपने पक्ष को अदालत के सामने कैसे रख सकेगा। लिहाजा उसके केस को दूसरे जिले में ट्रांसफर करने के अलावा और कोई विकल्प हमें नहीं दिखाई देता।

आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 504, 506(2) के तहत भुज के एडिशनल जूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास की कोर्ट में मामला विचाराधीन है। पुलिस ने उसके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। अभी अदालत उस पर चार्ज फ्रेम करने की प्रक्रिया शुरू करने वाली है।

वकीलों ने नहीं लड़ा केस तो हो गई थी एक साल की सजा

आरोपी ने हाईकोर्ट को दी अपनी दरखास्त में बताया कि पहले भी वकीलों की वजह से उसे एक मामले में बेवजह की सजा हो चुकी है। उस मामले में भी किसी भी वकील ने उसका केस नहीं लड़ा था। वो अपने केस की पैरवी ही नहीं कर पाया तो कोर्ट ने उसे एक साल की सजा सुना दी थी। जस्टिस इलेश जे वोरा ने भी माना कि पहले वाले केस में भी आरोपी को फेयर ट्रायल का मौका नहीं मिल सका था। ये कानून के राज के मुताबिक नहीं है।