हजारों की भीड़ ने आसुंओं और फूलों की बरसात के बीच शहीद महेंद्र यादव को आखिरी विदाई दी। कंधे पर धरती के सबसे बड़े दु:ख को लिए पिता राम शब्द यादव ने फिर भी हिम्मत नहीं छोड़ी। कहा, छोटा बेटा भी देश को दूंगा। उदास भीड़ में आंसुओं से भीगी वह लड़की भी थी जिसकी डोली नवंबर में महेंद्र के आंगन में आनी थी। सोमवार को कुपवाड़ा में आतंकियों से एक जबर्दस्त मुठभेड़ में बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर महेंद्र यादव (27) शहीद हो गए।
बुधवार को शहीद का शव उनके पैतृक गांव मलिकपुर नोनरा (कादीपुर) बीएसएफ के अधिकारी-जवान लेकर पहुंचे। सोमवार की रात शहीद के पिता को कादीपुर थाने से टेलीफोन के जरिए बेटे की शहादत की जानकारी दी गई। शहीद महेंद्र के गांव से थाने की दूरी आठ किलोमीटर है। पुलिस चौकी की दूरी 500 मीटर। फिर भी देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले सपूत की शहादत की दुखभरी पहली सूचना देने के लिए प्रशासन- पुलिस के किसी जिम्मेदार ने खुद उनके घर पहुंचने की जगह टेलीफोन का सहारा लेना मुनासिब समझा। संवेदनहीनता का सिलसिला अगले दिन मंगलवार को भी जारी रहा। जिला मुख्यालय पर बड़े अधिकारियों के पास शहीद के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
उधर शहीद के घर के रुदन पर पहले गांव इकठ्ठा हुआ और फिर खबर फैली तो आसपास के गांव-कस्बों-बाजारों की भीड़ शहीद के घर की ओर उमड़ पड़ी। गांव के नजदीकी मुड़िला बाजार की दुकानें बंद हो गर्इं। हर ओर शोक और गुस्से का माहौल। जगह-जगह पाकिस्तान विरोधी नारे और पुतले फूंके गए। शहीद महेंद्र यादव का शव बुधवार को दोपहर में गांव पहुंचना था लेकिन अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग उनके घर की और चल दिए। रास्ते में शहीद के सम्मान में बड़ी-बड़ी होर्डिंग और गूंजते नारे। बेसुध बेहोश मां मर्यादी देवी। बिलखते भाई, बहन व परिजन। सबको समेटते आंसू पीते और बार-बार दोहराते पिता राम शब्द ‘छोटे बेटे को भी देश को दूंगा।’
बुधवार की सुबह ही प्रशासन भी हरकत में आया। फिर अगले कुछ घंटे शहीद के गांव में जो कुछ भी हुआ, उसने दु:ख के इस मौके को और दुखद बना दिया। अविवाहित शहीद महेंद्र को परिवार और गांव के लोग पास की जिस जमीन में दफनाना चाहते थे, उसे लेकर विवाद शुरू हुआ। प्रशासनिक संवेदनहीनता से लोग पहले ही नाराज थे। लेखपाल और कानूनगो द्वारा ग्राम समाज की इस जमीन को मंडी समिति के लिए आरक्षित बताए जाने पर भीड़ ने उन्हें दौड़ा लिया। तहसीलदार को भी भीड़ के गुस्से का शिकार होना पड़ा। एसडीएम, सीओ और कादीपुर के विधायक राम चंद्र चौधरी पर भी लोगों ने जमकर नाराजगी जाहिर की। एसडीम के वाहन को भी तोड़ा गया।
दोपहर बीएसएफ के अधिकारी जवान वाहन पर शहीद महेंद्र का शव लेकर उसके गांव पहुंचे। डीएम राजलिंगम और एसपी पवन कुमार सहित प्रशासन पुलिस के अधिकारी भी मौजूद थे। एक किलोमीटर से लंबा काफिला। भारी भीड़। आंखों में आंसू और फूल बरसाते हजारों हाथ। शहीद के सम्मान और देश भक्ति के नारों के बीच पाकिस्तान को सबक सिखाने की हुंकार। शव के घर पहुंचने के कुछ देर बाद फिर दफनाने के स्थान पर विवाद।
शहीद के पिता राम शब्द यादव बार-बार कातर स्वर में डीएम से कह रहे थे- ‘नहीं मुझे रुपया पैसा और कोई सहायता नहीं चाहिए। देश के लिए शहीद होने वाले बेटे के लिए सिर्फ दो गज जमीन मांग रहा हूं। सिर्फ दो गज जमीन। क्या उसका भी वह हक़दार नहीं। मुझे पता है कि 15 अगस्त को बड़ी-बड़ी बातें होंगी। पर असलियत में कुछ नहीं होगा।’
शहीद के शव पर पुष्पांजलि के बाद डीएम और एसपी जिला मुख्यालय वापस आ गए। उधर परिजनों ने अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया। लोगोंं की बढ़ती नाराजगी की खबरें लखनऊ पहुंची। कुछ घंटों में फिर डीएम शहीद के गांव पहुंचे। तय जगह पर अंतिम संस्कार की सहमति दी। शोक में डूबी भीड़ ने गुस्से को किनारे किया। शहीद महेंद्र तेरा बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान के नारे तेज हुए। उदास शाम के डूबते सूरज का सिंदूरी रंग काले बादलों के बीच छिप रहा था। रोते बिलखते लेकिन उन पर गर्व करते लोगोंं ने उनके अंतिम दर्शन किए। बीएसएफ की टुकड़ी ने तिरंगे में लिपटे शहीद को सलामी दी। बंदूकें गरजीं। फिर उस मिट्टी में शहीद महेंद्र समा गए जिसकी हिफाजत की कसम खाई थी।
