राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके कई समर्थकों को सोमवार को यहां उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वे पार्टी की ओर से आयोजित बंद को जबर्दस्ती लागू कराने की कोशिश कर रहे थे। बंद के चलते दुकानें, शैक्षणिक संस्थान जबरन बंद कराए जाने और कई ट्रेनों का संचालन रोक दिए जाने के कारण सोमवार को बिहार में आम जनजीवन ठप रहा। राजद के इस बंद को लागू करवाने के लिए हाथों में लाठियां लिए भीड़ सड़कों पर उतर आई थी।
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विकास वैभव ने कहा कि लालू प्रसाद को उनके समर्थकों के साथ तब गिरफ्तार कर लिया जब वे जबर्दस्ती बंद कराने का प्रयास कर रहे थे। उन्हें बिहार मिलिट्री पुलिस-5 के शिविर जेल ले जाया गया जो पटना के बाहरी इलाके में स्थित है। उनके खिलाफ लगी धाराएं यदि जमानती होंगी तो उन्हें जमानत मिल जाएगी। लालू के खिलाफ कोतवाली पुलिस थाने में धारा 147, 149, 341, 353, 323, 332, 431, 504 और 506 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
अधिकारियों ने बताया कि बंद से पटना हाई कोर्ट का कामकाज भी प्रभावित हुआ। बंद के चलते कई न्यायाधीशों को अदालत पहुंचने में देरी हुई और उन्होंने यह जानना चाहा कि क्या राज्य सरकार बंद का समर्थन कर रही है। उन्होंने इसके साथ ही राज्य सरकार की सुरक्षा तैयारियों पर भी सवाल उठाया।
इससे पहले लालू प्रसाद अपने आवास से अपनी पार्टी के रंग और चिह्नों से ढके टमटम पर बैठ कर बाहर निकले। प्रसाद और उनके सैकड़ों समर्थक उसके बाद शहर के केंद्र डाक बंगला चौक की ओर बढ़े और रास्ते में बंद कराते रहे। लालू ने कहा कि हमारा मकसद सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग करना और भाजपा को सत्ता से हटाना है। उन्होंने कहा कि बंद भारी सफल रहा है। मैंने अपने जीवन में जेपी आंदोलन को छोड़कर इस तरह का बंद नहीं देखा। राजद प्रमुख ने राज्य में कहीं भी अपने पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किसी अप्रिय घटना से इनकार किया और जोर देकर कहा कि युवाओं ने भाजपा की हवा निकाल दी है। उन्होंने इसके साथ ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद से हटाने का आह्वान किया।
अधिकारियों ने कहा कि राजद की ओर से आहूत बंद के दौरान दुकानें बंद रहीं, कालेजों और शैक्षिक संस्थानों को जबर्दस्ती बंद कराया गया, राष्ट्रीय राजमार्गों सहित सड़कों को बाधित किया गया और वाहनों पर हमले किए गए। अधिकारियों ने बताया कि राज्य की राजधानी पटना में बड़ी संख्या में लाठियों से लैस राजद समर्थकों को व्यस्त स्थानों पर टायर और बांस जलाते देखा गया। उन्होंने इसके साथ ही कक्षाएं बंद कराईं और पटना विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों को जबर्दस्ती बंद कराया गया।
राजद समर्थकों की फौज को राजधानी के व्यस्ततम मार्गों पर टायर और बांस जलाते हुए देखा गया। पूर्वी मध्य रेलवे के प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी अरविंद कुमार राजक ने कहा कि राज्य में कई जगहों पर बंद समर्थकों ने कई जगहों पर रेल सेवाआें को बाधित किया। पटना-रांची जनशताब्दी एक्सप्रेस को जहानाबाद स्टेशन पर रोक दिया गया था जबकि हातिया-इस्लामपुर एक्सपे्रस को पटना जिले में दानियावान के पास रोक दिया गया। राजद ने इस बंद का आह्वान दरअसल केंद्र द्वारा कराई गई जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों को जल्दी जारी करने की अपनी मांग को बल देने के लिए किया है।
हालांकि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कुछ दिन पहले बिहार बंद का आह्वान करते हुए अपने समर्थकों से कहा था कि वे इस बंद को लागू करते समय रेल सेवाएं बाधित न करें। लेकिन ऐसा लगता है कि उनकी इस अपील का समर्थकों पर कोई असर नहीं हुआ। बंद को सत्ताधारी जदयू और सपा का भी समर्थन है क्योंकि उनके कार्यकर्ताओं को भी राज्य की राजधानी के कुछ क्षेत्रों में इसे लागू करते हुए देखा गया।
पटना में दफ्तरों को जा रहे लोगों को जबरन लौटा दिया गया। जिन्होंने आगे जाने की कोशिश की, उन्हें बंद लागू कराने वाले इन लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। सड़कों पर चल रही कारों, आॅटो रिक्शा, साइकिल रिक्शा आदि को नुकसान पहुंचाया गया और उनके टायरों की हवा निकाल दी गई। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी मुकेश कुमार सिंह की कार को उस समय कुछ व्यक्तियों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जब वह अपने कार्यालय जा रहे थे।
जिलों से आने वाली खबरों में कहा गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31, 83 और 110 को कई स्थानों पर बाधित किया गया। खबरों में कहा गया कि बेगुसराय, भागलपुर, भोजपुर, गोपालगंज, अरवल शहर, पूर्वी चंपारण, पुर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, गया को एक दिवसीय बंद के कारण परेशनियों का सामना करना पड़ा। राजद के विधायक, पार्षद और पूर्व मंत्रियों ने बंद को लागू कराने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं का नेतृत्व किया।
राज्य की राजधानी में राजद के नेता अपने प्रदेश अध्यक्ष राम चंद्र पुरवे के नेतृत्व में बंद को लागू करवाने के लिए पार्टी मुख्यालय से बाहर आए। राजद के प्रतीक चिन्हों वाले झंडे और बैनर लेकर इन लोगों ने जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाए। पुरवे ने कहा-‘बिहार पूरी तरह से बंद है। जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करने की हमारी मांग को व्यापक समर्थन है और जनता ने राज्यभर में इसे समर्थन दिया है।’
उन्होंने धमकी दी कि यदि ये आंकड़े इसके बाद जारी नहीं किए जाते हैं तो वे आंदोलन तेज करेंगे। उन्होंने कहा कि दलितों, वंचितों और गरीबों के लिए यह स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई है। पुरवे ने बंद के दौरान सड़कों पर होने वाली गुंडागर्दी में राजद कार्यकर्ताओं के शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि यह भाजपा के कार्यकर्ताओं का काम हो सकता है ताकि राजद की छवि खराब की जा सके।