बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बोलने और भाषण देने का अंदाज बाकी नेताओं से एकदम अलग है। सदन में भी लोग इंतजार किया करते थे कि कब लालू प्रसाद यादव अपनी बाद रखेंगे। उनका भाषण शुरू होते ही ठहाके लगने लगते थे। बात 5 दिसंबर 2012 का है। लालू प्रसाद यादव ने उस समय विपक्ष में रहे एनडीए पर आरोप लगाया कि वह एफडीआई का विरोध इसलिए कर रहे हैं जिससे 2014 का चुनाव जीता जा सके। एक समय ऐसा भी आया जब वह मुरली मनोहर जोशी की घड़ी की कीमत पूछने लगे।

लालू प्रसाद यादव ने मुरली मनोहर जोशी का नाम लेते हुए कहा, ‘मैं विदेशी की बात करने वाले भाजपा के नेताओं से जानना चाहता हूं। कितने की घड़ी पहने हैं?’ इस बात पर जोरदार ठहाके लगे और जोशी ने कहा, आप भी दिखा दीजिए अपनी घड़ी। इसके बाद लालू यादव ने अपनी कलाई दिखाते हुए कहा, ‘हमारे पास तो है ही नहीं।’ सदन फिर ठहाकों से गूंज उठा। लालू ने कहा, ‘मैडम, मैं कोई सेल फोन नहीं रखता हूं। ये छाती पर रखते हैं। और जब टेलीफोन आता है तो 100 मीटर की दौड़ लगाते भागते हैं।’

लालू प्रसाद यादव ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा, ‘गांधी बाबा रेल के तीसरे दर्जे में सफर करते थे। हम लोग कौन से डिब्बा में सफर कर रहे हैं। बीजेपी के जो भी नेता रिजर्वेशन कराते हैं उनकी इच्छा रहती है, टू बेड। इनके होने वाले अगले देश के प्रधानमंत्री कहते हैं, जापान के लोग आओ, विदेशी लोग आओ, आओ आओ मेरे यहां लगाओ।’

लालू यादव ने सुषमा स्वराज को शेर भी सुनाया। उन्होंने कहा, ‘मोहब्बत में तुम्हें आंसू बहाना नहीं आता, बनारस में पान खाना नहीं आता। मैं जोशी जी से पूछना चाहता हूं, मरुआ बोया जाता है या रोपा जाता है।’ लालू ने हुकुमदेव से कहा, आप मेरे समधी हैं। इसपर हुकुमदेव ने सही करते हुए कहा। आप मेरे चचेरे भाई के ससुर हैं। लालू प्रसाद यादव का यह भाषण यादगार हो गया। उनकी हर बात पर सदन ठहाकों से गूंज रहा था। उन्होंने एफडीआई की वकालत में विपक्ष को खूब घेरा था।