भारत की राजनीति में लालू प्रसाद यादव अपने गवई अंदाज और खास राजनैतिक शैली के लिए खासे मशहूर हैं। बिहार में तो लालू प्रसाद यादव का इतना गहरा प्रभाव है कि राज्य की राजनीति की फिलहाल लालू प्रसाद यादव के बिना कल्पना भी मुश्किल है। लालू प्रसाद यादव के लंबे राजनीतिक जीवन पर जल्द ही एक किताब जनता के सामने आने वाली है। इस ऑटोबायोग्राफी को नाम दिया गया है “From Gopalganj to Raisina”। इस किताब में लालू यादव ने अपने राजनैतिक जीवन के साथ ही निजी जीवन से जुड़ी कुछ बातों का भी उल्लेख किया है। लालू यादव ने किताब में अपनी पत्नी राबड़ी देवी से पहली मुलाकात का भी जिक्र किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस किताब के कुछ अंश अपनी खबर में प्रकाशित किए हैं।

राबड़ी देवी के साथ पहली मुलाकात में ये बोले थे लालू प्रसाद यादवः इन्हीं अंशों के मुताबिक लालू यादव ने लिखा है कि “मार्च, 1974 में राबड़ी देवी दुल्हन के रुप में गौने के बाद पहली बार उनके फुलवारिया स्थित घर में आयीं थी। हालांकि उनकी शादी साल 1973 में बसंत पंचमी के दिन हो गई थी। लेकिन ऐसी परंपरा है कि दूल्हा और दुल्हन गौना होने के बाद ही साथ रह सकते हैं। गौना एक ऐसी परंपरा है, जिसमें दुल्हन को शादी के एक साल या उससे ज्यादा समय के बाद उसके ससुराल भेजा जाता है।” लालू यादव ने किताब में लिखा है कि “जब राबड़ी देवी उनके घर आयीं, उससे पहले तक उन्होंने राबड़ी को देखा तक नहीं था। जब मैंने उन्हें पहली बार देखा, तो उस वक्त उन्होंने एक सामान्य सी दुल्हनों वाली साड़ी पहनी हुई थी और वह काफी शर्मीली और कुछ आशंकित सी दिखाई दी।” लालू प्रसाद यादव ने किताब में उस दिन को याद करते हुए लिखा कि “मैं उनके पास गया और उनसे कहा कि मैं बिहार के एक बड़े आंदोलन का नेता हूं, जयप्रकाश नारायण हमारे नेता हैं। मुझे 18 मार्च को किसी भी हाल में पटना पहुंचना है। यदि मैं समय पर नहीं पहुंच सका तो मुझे झूठा और बिका हुआ घोषित कर दिया जाएगा। कुछ भी हो सकता है…मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है और जेल में डाला जा सकता है। मुझे तुम्हारे सहयोग की जरुरत है।” लालू लिखते हैं कि “राबड़ी ने कुछ नहीं कहा। यह पहली बार था, जब मेरी उनसे बात हुई थी और वह बेहद ही मितभाषी थीं।”

‘नीतीश कुमार ने महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश की थी’: बता दें कि लालू प्रसाद यादव की यह किताब अभी तक जनता के सामने आयी भी नहीं है, लेकिन इसने अभी से ही बिहार की राजनीति को गरमा दिया है। लालू प्रसाद यादव के बेटे और राजद नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को यह कहकर चर्चाओं का बाजार गरम कर दिया कि लालू प्रसाद यादव ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में बताया है कि नीतीश कुमार ने साल 2017 में महागठबंधन से नाता तोड़ने के सिर्फ 6 माह बाद ही महागठबंधन में वापस आने की काफी कोशिश की थी। उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार ने साल 2015 में बिहार में हुए विधानसभा चुनावों में लालू प्रसाद यादव की राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। इससे पहले नीतीश कुमार कई साल तक एनडीए का हिस्सा रहे थे। लेकिन 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। अब तेजस्वी ने लालू प्रसाद यादव की किताब के हवाले से दावा किया है कि नीतीश ने महागठबंधन से निकलने के 6 माह बाद ही फिर से इसमें शामिल होने की काफी कोशिशें की थी।