देश की राजनीति की दिशा अब ललित मोदी तय कर रहे हैं। एक आर्थिक अपराध के आरोपी के चक्कर में भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा करने में जुटी हैं। अभी तक भाजपा इस मुद्दे पर बैकफुट पर थी। लेकिन अपने ताजा ट्वीट में प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा से लंदन में अपनी मुलाकात होने का खुलासा कर ललित मोदी ने कांग्रेस को भी कठघरे में खड़ा कर दिया। कांग्रेसी बेशक शुक्रवार को इस ट्वीट पर यह सफाई देते दिखे कि किसी से होटल में मुलाकात का मतलब उसकी मदद नहीं होता। लेकिन भाजपा नेताओं को इस बहाने कांग्रेस पर वार करने का मौका मिल गया।

विभिन्न आरोपों को लेकर विवादों में घिरी भाजपा की चार महिला नेताओं को हटाने की अपनी मांग को कांग्रेस ने और तेज कर दिया। पार्टी ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि जब वह विपक्ष में थी तो उसने नियमों की अलग तरह से व्याख्या की थी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जहां भारतीय भगोड़े और आइपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी को कथित रूप से मदद पहुंचाने को लेकर विवाद से घिरी हैं वहीं केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी देने और महाराष्ट्र की महिला व बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे पर बिना निविदा आमंत्रित किए 206 करोड़ रुपए के ठेके आबंटित करने के आरोप सामने आए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि यह सही समय है जब वे इस्तीफा दे दें क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। उन्हें जाना होगा। किसी तरह से वे बनी नहीं रह सकतीं।

उधर ललित मोदी के चक्रव्यूह में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के फंस जाने से सत्तारूढ़ भाजपा पिछले कई दिन से बचाव की मुद्रा में थी। लेकिन गुरुवार को मोदी ने सोनिया गांधी की बेटी और दामाद को भी घसीट लिया तो भाजपा ने राहत की सांस ली। भाजपा ने शुक्रवार को पूर्व आइपीएल प्रमुख और गांधी परिवार के बीच कथित तौर पर संबंध होने का आरोप लगा दिया। इतना ही नहीं, इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बयान देने की मांग भी कर दी।

भाजपा के इस बयान पर विपक्षी कांग्रेस ने करारा पलटवार किया और कहा कि ललित मोदी के ट्वीट ‘छोटा मोदी’ (ललित मोदी) द्वारा झूठ के माध्यम से बड़े मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) की मदद करने का मामला है। उधर कांग्रेस को घेरने की कोशिश करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि शुक्रवार का बड़ा खुलासा यह तथ्य है कि ललित मोदी ने गांधी परिवार से मुलाकात की थी।

प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा ने उनसे भेंट क्यों की? सोनिया गांधी बयान दें कि गांधी परिवार पिछले सालों में ललित मोदी के सपंर्क में क्यों था। पात्रा ने दावा किया कि ब्रिटेन ललित मोदी के प्रत्यर्पण के लिए तैयार था, उसके बावजूद तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ब्रिटेन से उनका प्रत्यर्पण चाहते ही नहीं थे। उन्होंने कहा-कौन उन्हें रोक रहा था। गांधी परिवार। यह मामला 10, जनपथ के द्वार से शुरू होता है और वहीं खत्म हो जाता है।

इन आरोपों पर कांग्रेस ने कहा कि रेस्तरां में अचानक किसी से मुलाकात हो जाना कोई अपराध नहीं है। ललित मोदी भाजपा की शह पर ध्यान भटकाकर उसे गैर मुद्दों पर ले जाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा को अपने कालेधन के किरदारों से कहना चाहिए कि वे मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए लोगों को भुलावे में नहीं डालें। उन्होंने कहा कि सरकार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ लगे आरोपों पर लोगों को सफाई देनी चाहिए।

ललित मोदी ने गुरुवार रात ट्वीट किया था कि लंदन में गांधी परिवार से मिलने पर खुशी हुई। मैं प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा से अलग-अलग मिला था। इस बीच ललित मोदी विवाद को लेकर वसुंधरा राजे के संकट में घिरने पर भाजपा की राजस्थान इकाई शुक्रवार को अपनी मुख्यमंत्री के समर्थन में खुल कर सामने आई। हालांकि खुद राजे ने 120 विधायकों का समर्थन होने का प्रदर्शन करने के लिए उनके द्वारा हस्ताक्षर अभियान चलाने की खबरों को हास्यास्पद करार दिया।
एक ओर जहां केंद्रीय भाजपा उनका लगातार समर्थन कर रही है वहीं प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अशोक परनामी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि राजे के खिलाफ सारे आरोप बेबुनियाद हैं और कांग्रेस ने उन्हें अपमानित करने के लिए मढ़े हैं। उनके और ललित मोदी के बीच दशकों पुराने पारिवारिक संबंधों को कांग्रेस निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा मुख्यमंत्री के साथ पूरी तरह से खड़ी है जिन्हें विधायकों ने चुना है।

ललित मोदी के समर्थन में दिए गए विवादास्पद हलफनामे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर राजे के हस्ताक्षर जरूर हैं लेकिन यह सिर्फ एक मसविदा है। जिसे न तो किसी अदालत में पेश किया गया, न ही ब्रिटेन में किसी अन्य कानूनी संस्था में पेश किया गया। मुख्यमंत्री किसी अदालत में पेश नहीं हुई, न ही कोई हलफनामा दिया। बयान किसी अदालत (ब्रिटेन में) को संबोधित नहीं है। पार्टी के नेता व पूर्व मंत्री दिगंबर सिंह ने कहा कि राजे के इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और वे राज्य की सबसे ताकतवर नेता हैं।

अशोक परनामी ने वसुंधरा का इस्तीफा मांग रहे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार भी किया। उन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत ने 100 रुपए का शेयर मॉरीशस की एक कंपनी को 40 हजार रुपए में बेच दिया। गहलोत ने बहुमूल्य खदान अपने रिश्तेदारों को आबंटित कर दी। जब उन मामलों का खुलासा हुआ तो गहलोत ने इन मामलों पर अपना इस्तीफा क्यों नहीं दिया।

इस बीच केंद्रीय खनन और इस्पात मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को जयपुर में वसुंधरा के सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की। मुख्यमंत्री और केंद्रीय खनन व इस्पात मंत्री के बीच हुई बातचीत का ब्योरा नहीं मिल पाया। पार्टी के सांसद कर्नल सोनाराम ने भी मुख्यमंत्री से मुलाकात की। राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय गोयल ने भी वसुंधरा राजे से मुलाकात की। उनके निवास पर राज्य के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की आवाजाही दिन भर चलती रही। एक तरह से जैसे वे वसुंधरा के प्रति समर्थन जता रहे हों।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के संबंध में कुछ चैनल सत्य से परे और तथ्यहीन खबरें चला रहे हैं। जैसा कुछ चैनलों पर दिखाया जा रहा है वैसा मुख्यमंत्री ने कुछ भी नहीं कहा है। मुख्यमंत्री प्रत्येक शुक्रवार को जनप्रतिनिधियों से मिलती हैं और इसी परिपे्रक्ष्य में विधायक और कार्यकर्ता उनसे मिल रहे है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि इसको किसी भी अन्य नजरिये से जोड़कर देखा जाना उचित नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक ओर विज्ञप्ति जारी कर इस बात से इनकार किया कि मुख्यमंत्री ने विधायकों को निजी रूप से फोन करके अपने प्रति वफादारी निभाने और खुलकर समर्थन में आगे आने को कहा है।

इस बीच भाजपा ने शुक्रवार को अपना पैतरा बदलते हुए कहा कि राजे ने आइपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी की आव्रजन अपील का समर्थन किया भी था तो भी उन्होंने अदालत में उनकी ओर से गवाही नहीं दी थी और इस तरह से भारत में वित्तीय अपराध के लिए वांछित एक व्यक्ति का समर्थन करने को लेकर विपक्ष की आलोचना गुमराह करने वाली है। पार्टी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि क्या वे ब्रिटेन गर्इं और वहां जाकर बयान दिया? नहीं। उनकी तरफ से ऐसा कुछ नहीं किया गया। राजे का बयान 2011 में उनकी व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर आया था, राजस्थान में नेता विपक्ष की हैसियत से नहीं।

पत्रकार से लेकर जज तक मोदी के मददगार!

आइपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी के मददगारों की सूची का बढ़ता दायरा चौंकाने वाला है। भाजपा-कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के अलावा पत्रकार प्रभु चावला से लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों तक पर मोदी की मदद के आरोप हैं। शुक्रवार को एक टीवी चैनल ने दावा किया कि एक वरिष्ठ पत्रिकार सहित तीन जजों ने ललित मोदी के हाथ मजबूत किए। पांच लोगों को आरोपों के नए घेरे में लिया गया है। इन पांच लोगों में से तीन तो सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज-जस्टिस उमेश सी बनर्जी, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस एसबी सिन्हा हैं।

इन तीनों के अलावा मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर रामदेव त्यागी और मशहूर पत्रकार प्रभु चावला ने भी ललित मोदी की मदद की थी। आरोप है कि जस्टिस उमेश सी बनर्जी नाम के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने ललित मोदी को लंदन में रहने के लिए कानूनी मदद दी थी। बनर्जी सुप्रीम कोर्ट से पहले आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। चैनल को काडेन बोरिस पार्टनर्स नाम की लॉ फर्म के फाउंडर हेमंत बत्रा ने हाल में बताया था कि ललित मोदी ने यूके में रहने के लिए जिन तीन नामी लोगों से कानूनी मदद ली थी, उनमें से एक जस्टिस बनर्जी भी थे। यह लॉ फर्म उसी टीम का हिस्सा थी, जो मोदी के आव्रजन मामले से जुड़ी थी।

‘मिलने पर खुशी हुई’
लंदन में गांधी परिवार से मिलने पर खुशी हुई। मैं प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा से अलग-अलग मिला था।… ललित मोदी

‘ललित-प्रियंका भेंट नहीं’
प्रियंका गांधी के दफ्तर की ओर से कहा गया कि ललित मोदी के साथ उनकी कोई मुलाकात, यहां तक कि कोई सामाजिक मुलाकात भी नहीं हुई।