ललन सिंह ने जेडीयू अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इसकी अटकलें पहले से लगाई जा रही थीं, अब उस पर मुहर भी लग चुकी है। माना जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार अब ये पद संभाल सकते हैं। वैसे ललन सिंह का आउट होना किसी को भी हैरान नहीं कर गया है। पिछले कुछ दिनों में ऐसा काफी कुछ हुआ था, जिस वजह से माना जा रहा था कि ललन सिंह की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। जिस तरह से दिल्ली में लगे पोस्टरों से ललन सिंह को बाहर रखा गया था, संदेश पहले ही जा चुका था।
वैसे भी राजनीति में कई बार जो बातें बोलकर नहीं बताई जातीं, सियासी पोस्टरों के जरिए बड़े संदेश देने का काम कर दिया जाता है। इस सियासी बवाल के बीच में भी राजधानी दिल्ली में लगे पोस्टरों ने राजनीतिक पंडितों का काम कुछ आसान कर दिया था।
सियासी पोस्टरों ने काफी कुछ बता दिया!
असल में जेडीयू की अहम बैठक से पहले दिल्ली में जो पोस्टर लगे थे, उनमें नीतीश कुमार की बड़ी तस्वीर थी, लेकिन ललन सिंह को बाहर रखा गया। राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग जानते हैं कि पोस्टर में जगह मिलने के भी बड़े मायने होते हैं। जिसकी तस्वीर जितनी बड़ी होती है, उसके भी अलग मायने निकाले जाते हैं। यहां तो ललन सिंह को इस सियासी पिक्चर से ही आउट कर दिया गया है, ऐसे में सवाल पहले ही उठ रहे थे कि क्या मीडिया में चल रहीं ललन सिंह की विदाई वाली अटकलें सही तो नहीं?
नीतीश का पुराने बीजेपी नेताओं को याद करना!
अब पोस्टरों ने अगर कोई बड़ा संदेश देने का काम किया था तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार के कुछ बयान भी चर्चा का विषय बने हुए थे। कैमरे के सामने बीजेपी के सभी नेता दो टूक कह रहे हैं कि एनडीए के दरवाजे नीतीश के लिए बंद हैं, अमित शाह ने तो पटना जाकर जनता के सामने वादा भी कर दिया है। लेकिन सियासत में क्योंकि कुछ भी नामुमकिन नहीं होता, उसे देखते हुए नीतीश के कुछ बयान समझना जरूरी हो जाता है। नीतीश कुमार बीते कुछ दिनों में बीजेपी के दो सबसे दिग्गज नेताओं की जयंती में शामिल हुए थे- अटल बिहारी वाजपेयी और अरुण जेटली। अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बीजेपी के साथ अपने पुराने दिनों को भी याद किया था।
नीतीश कुमार ने कहा था कि अरुण जेटली ने इस देश के लिए बहुत काम किया। 2005 से जब 2010 तक एनडीए की सरकार रही, तब भी उनकी भूमिका अहम थी। एनडीए से अलग होने के बाद भी उनसे संबंध बने रहे। अब नीतीश कुमार का ये बयान कहने को अपने एक पुराने दोस्त को लेकर था, लेकिन सियासत में कई दोस्तियों को असल में सियासी जरूरतों के समय ही याद किया जाता है। अब यहां भी वैसा ही केस रहने वाला है या कुछ और, ये कुछ घंटों में साफ हो जाएगा।
पीएम दावेदार ना बनना और ललन की भूमिका
वैसे नीतीश कुमार की जो नाराजगी बताई जा रही है, वो भी ललन सिंह के लिए कोई अच्छा संकेत नहीं थे। अगर मीडिया रिपोर्ट्स और कुछ बड़े नेताओं के बयान पर ही भरोसा किया जाए तो ललन सिंह ने नीतीश को कई बड़े सपने दिखाने का काम किया। उन्हें इंडिया गठबंधन में पीएम दावेदार बनाने का आश्वासन भी दिया गया था। इसे लेकर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ, लेकिन माना गया कि मौन सहमति बनी थी। इस बीच जब सीएम ममता बनर्जी की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम पीएम रेस में आगे कर दिया गया, नीतीश खफा थे, इंडिया गठबंधन की मीटिंग उन्होंने बीच में ही छोड़ दी थी।
इसके ऊपर ये खबरें भी कई बार आईं कि ललन सिंह आरजेडी के ज्यादा करीब जा रहे हैं, आगे चलकर वे कोई बड़ा खेल कर सकते हैं। ये सारी बातें नीतीश के कानों तक भी पहुंच रही थीं, ऐसे में रिश्तों में तल्खी का एक कारण ये भी माना जा रहा था। अब उसी वजह से नीतीश ने ललन सिंह को आउट कर दिया है।