हत्या के प्रयास के मामले में लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की सजा को बर्खास्त करना बड़ा विवाद बनता दिख रहा है। लक्षद्वीप प्रशासन ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी सजा के खिलाफ दायर याचिका सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष दायर कर जल्द से जल्द सुनवाई की दरखास्त की। सीजेआई ने उनकी अपील पर सहमति जताई है। यानि जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट मोहम्मद फैजल के मामले में केरल हाईकोर्ट के फैसले की समीक्षा करेगा। अगले सप्ताह मामले को लिस्ट किए जाने के आसार हैं।

चुनाव आयोग ने शुरू कर दी थी उप चुनाव की तैयारी

NCP नेता मोहम्मद फैजल को निचली अदालत से हत्या के प्रयास के मामले में सजा सुनाई गई थी। उन्होंने फैसले के खिलाफ अपील की तो केरल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सजा को बर्खास्त कर दिया। रोचक बात है कि निचली अदालत के फैसले के बाद चुनाव आयोग ने मोहम्मद फैजल की सीट पर उप चुनाव कराने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। लेकिन बाद में हाईकोर्ट के फैसले के बाद आयोग ने अपने निर्णय को रोक दिया।

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया था कि वो हाईकोर्ट के फैसले के अनुरूप काम करेगा। सजा फिलहाल बर्खास्त है तो उप चुनाव कराने का सवाल ही पैदा नहीं होता। 25 जनवरी को केरल हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया था। हालांकि लक्षद्वीप प्रशासन ने शुरू से ही हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर की थी। प्रशासन का कहना था कि केरल हाईकोर्ट ने जो फैसले दिया है वो तथ्यों के अनुरूप नहीं है। लिहाजा वो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहा है।

उप चुनाव टालना चाहता था हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट के जस्टिस बेचु कुरियन ने अपने फैसले में कहा था कि आम चुनाव में केवल डेढ़ साल का वक्त बचा है। ऐसे में उप चुनाव कराना नाहक ही समय की बर्बादी होगी। चुनाव के चलते तमाम प्रशासनिक कामकादज रूक जाएंगे। हाईकोर्ट का ये भी कहना था कि मामले में कोई खतरनाक हथियार भी बरामद नहीं हुआ है। जो दस्तावेज हैं उनके मुताबिक चोट की प्रवृत्ति भी खतरनाक नहीं है।

हाईकोर्ट का कहना था कि चुनाव में जो पैसा खर्च होगा वो राष्ट्र के पैसे के बर्बादी ही है। तमाम खींचतान के बाद अगर चुनाव हुआ भी तो जो नया सांसद होगा उसका कार्यकासल केवल पंद्रह माह का होगा। हाईकोर्ट का मानना था कि ऐसे में ये सारी प्रक्रिया केवल समय को बर्बाद करने वाली होगी।