लखीमपुर हिंसा मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने योगी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर अपनी असंतुष्टि जाहिर की है। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए मामले को किसी और एजेंसी को सौंपने की बात कही। यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि मुख्य आरोपी को पेश होने का नोटिस भेजा गया है। मुख्य आरोप को कल सुबह 11 बजे तक का समय दिया गया है। समय के अंदर पेश ना होने की स्थिति में कानून अपना काम करेगा।

SC ने लिया स्वत: संज्ञान: बता दें कि इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि, यह बेंच की एक राय है, अगर आरोपी कोई आम आदमी हो तो क्या उसके साथ भी यही रवैया होता?

मामले में राज्य सरकार की कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि, आखिर हम लोगों को क्या संदेश दे रहे हैं। इसपर साल्वे ने कहा कि, मैं समझ रहा हूं कि जजों के मन में क्या है, कल तक सारी कमियां दूर कर ली जाएंगी। CJI ने कहा कि जिन अधिकारियों को इस मामले की जांच में लगाया गया है, सभी वहीं के लोकल फील्ड अधिकारी हैं। यही दिक्कत है। क्या इस मामले में सीबीआई की सिफारिश की गई?

जवाब में साल्वे ने कहा कि, नहीं, लेकिन दशहरे की छुट्टी तक इंतजार कर लीजिए, तब भी जरूरी लगे तो सीबीआई को जांच सौंप दीजिए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह आठ लोगों की नृशंस हत्या का मामला है और इसमें कानून को सभी आरोपियों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए। बता दें कि न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक वैकल्पिक एजेंसी के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है जो इस मामले की जांच कर सकती है।

सीजेआई ने कहा कि सीबीआई भी इसका कोई हल नहीं है, और आप इसके पीछे का कारण जानते हैं। किसी और तरीके को देखना होगा। छुट्टी(दशहरे की) के बाद मामला देखेंगे। तबतक आप इस मामले में तेज़ कार्रवाई करें। काम ना करने वाले अधिकारी को तुरंत हटाइए। चीफ जस्टिस ने मामले को छुट्टी के तुरंत बाद सुनवाई के लिए लगाने को कहा। उन्होंने कहा कि, 20 अक्टूबर को यह मामला लिस्ट में सबसे पहले लिया जाये।

योगी सरकार ने क्या कदम उठाए: बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गुरुवार को ही इस मामले में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसपर जानकारी देते हुए कि लखीमपुर हिंसा की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है। आयोग को जांच के लिए दो महीने का समय दिया गया है। इस जांच कमीशन में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को शामिल किया गया है।