क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उनके पति पर लगे हर आरोप, जिसमें उनका पाकिस्तान से संबंध होने का आरोप शामिल है, गलत है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोनम की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने कहा कि सोनम पर लगे हर आरोप गलत हैं। पिछले चार सालों से उनके खिलाफ लगातार छापेमारी चल रही है।
सोनम के खिलाफ एक कहानी गढ़ी जा रही- वांगचुक की पत्नी
गीतांजलि अंगमो ने कहा, “सोनम के खिलाफ एक कहानी गढ़ी जा रही है। एक आरोप यह है कि उन्होंने पाकिस्तान में एक सम्मेलन में भाग लिया था। मैं पूछना चाहती हूं कि इसमें क्या गलत है? फरवरी में संयुक्त राष्ट्र ने एक सम्मेलन आयोजित किया था। हम सभी जानते हैं कि हिंदू कुश हिमालय चीन, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान सहित आठ देशों में फैला हुआ है। उस सम्मेलन में भाग लेने में कुछ भी गलत नहीं था। उन्होंने वहां प्रधानमंत्री मोदी के मिशन लाइफ की भी सराहना की। अगर कोई पाकिस्तानी नागरिक लद्दाख में मौजूद था, तो यह उल्लंघन कैसे हुआ, इसके लिए गृह मंत्रालय जवाबदेह है। सोनम इसके लिए जवाबदेह नहीं हैं।”
एनएसए के तहत गिरफ्तार हैं वांगचुक
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के हिंसक हो जाने के बाद 26 सितंबर को लेह में पुलिस ने वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में ले लिया। वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने दावा किया था कि उन्हें जोधपुर की जेल में ले जाया गया था। इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “वांगचुक किसी भी तरह से सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा नहीं हैं। पिछले चार सालों से वे शांतिपूर्ण गांधीवादी तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जिस आधार पर उन्हें हिरासत में लिया गया है, वह सही नहीं है।”
केंद्र ने पिछले हफ्ते बुधवार को लेह में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के लिए सोनम को ज़िम्मेदार ठहराया था, जिसमें पुलिस की गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे और 50 अन्य घायल हो गए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत वांगचुक की हिरासत के एक दिन बाद लेह में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पुलिस महानिदेशक एस डी जामवाल ने दावा किया कि इससे पहले उन्होंने पाकिस्तान के एक व्यक्ति (पीओआई) को हिरासत में लिया था, जो सीमा पार वांगचुक के बारे में रिपोर्ट भेजता था।
इस बीच राज्य के दर्जे की मांग कर रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे दो लद्दाख-आधारित संगठनों में से एक एपेक्स बॉडी लेह (ABL) द्वारा केंद्र के साथ अनौपचारिक चर्चा से बाहर रहने के अपने फैसले की घोषणा के बाद मंगलवार को कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने भी यही कदम उठाया। नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केडीए के सह-अध्यक्ष असगर अली करबलाई ने कहा, “हम लगातार सर्वोच्च निकाय लेह के संपर्क में हैं। जब तक सोनम वांगचुक की रिहाई नहीं हो जाती, गिरफ़्तारियां बंद नहीं हो जातीं, पहले से हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा नहीं किया जाता और न्यायिक जांच का आदेश नहीं दिया जाता, हम केंद्र के साथ बातचीत में भाग नहीं लेंगे।” उन्होंने लेह में बंद के दौरान 24 सितंबर को सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलीबारी की न्यायिक जांच की भी मांग की।