Massive Protest In Ladakh Over Statehood: लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन बुधवार को हिंसक हो गया। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ झड़प की, अधिकारियों पर पथराव किया और भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय को भी आग लगा दी। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।

ये प्रदर्शनकारी सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वांगचुक पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वांगचुक की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों की चार मांगें हैं। पहली मांग तो यह है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले। दूसरी लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। तीसरी मांग की बात करें तो कारगिल और लेह को लोकसभा सीट बनाएं। चौथी मांग यह है कि सरकारी नौकरी में स्थानीय लोगों की भर्ती हो। मांगे पूरी ना होने की वजह से प्रदर्शनकारियों ने आज बंद का आह्वान किया था।

सोनम वांगचुक ने की शांति की अपील

सोनम वांगचुक ने बुधवार को कहा, “दोस्तों आज मुझे यह बताते हुए बड़ा दुख हो रहा है कि आज लेह शहर में कुछ बड़े पैमाने पर हिंसा और तोड़फोड़ होने लगी। कई कार्यालयों को तोड़ा गया और आग लगा दी गई। पुलिस की गाड़ियों में भी आग लगा दी गई। इससे पहले की मैं आपको ये बताऊं कि कल यहां पर जो 35 दिन के अनशन पर बैठे हुए थे उनमें से दो लोगों को अस्पताल में ले जाया गया है। इससे लोगों में बहुत ही ज्यादा रोष जागा और आज पूरे लेह में बंद की घोषणा की गई। फिर युवा पीढ़ी हजारों की संख्या में बाहर आ गई। कुछ लोग सोचते हैं कि ये लोग हमारे समर्थक थे और मैं कहूंगा हालांकि, इस मुद्दे पर पूरा लद्दाख हमारा समर्थक है। ये युवा पीढ़ी की भड़ास थी। एक तरह का GEN Z रेवोल्यूशन, जो कि उनको सड़कों पर लाया।”

मेरी पांच सालों की कोशिशों को पूरी तरह से नाकाम कर देगा- सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक ने आगे कहा, “पांच सालों से वो बेरोजगार हैं। एक के बाद एक करके उन्हें नौकरियों से बाहर रखा जा रहा है। फिर लद्दाख को संरक्षण नहीं दे रहे हैं। आप बिना कामकाज के युवा को रखें और उनके जो लोकतांत्रिक अधिकार है, उनको भी छीन लें। आज यहां पर लोकतंत्र का कोई भी मंच नहीं है और छठवां शेड्यूल जिसकी घोषणा की थी और वचन दिया गया था वो भी नहीं माना गया। मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील करता हूं कि जो भी हो वो इस रास्ते पर ना चलें। ये मेरी पांच सालों की कोशिशों को पूरी तरह से नाकाम कर देगा। अगर हम इतने सालों से अनशन कर रहे हैं और अगर हम अंत में हिंसा कर बैठें तो ये हमारा रास्ता नहीं है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद- 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना। वहीं, लेह और कारगिल को मिलाकर लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बना था। हालांकि, पिछले तीन सालों में लद्दाख के लोग बार-बार अपनी जमीन, संस्कृति और संसाधनों की रक्षा के लिए राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।

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6 अक्टूबर को अगली मीटिंग होगी

अब, केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच 6 अक्टूबर को अगली बातचीत होगी। इसमें लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्य शामिल होंगे। कारगिल डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता सज्जाद कारगिली ने X पर लिखा और कहा, “लेह में जो कुछ भी हो रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। लद्दाख, जो कभी शांतिपूर्ण था, अब सरकार के केंद्र शासित प्रदेश बनाने के असफल प्रयोग के कारण हताशा और असुरक्षा की भावना से ग्रस्त है। सरकार पर ज़िम्मेदारी है। बातचीत फिर से शुरू करे, समझदारी से काम ले और लद्दाख की राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को बिना देर किए पूरा करे। मैं लोगों से शांतिपूर्ण और दृढ़ रहने की भी अपील करता हूं।”