Kunal Karma Controversy: स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा की टिप्पणी पर विवाद मचा है। कुणाल कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के ऊपर टिप्पणी की, जिस पर हंगामा बरपा हुआ है। शिवसेना और भाजपा दोनों ने कुणाल कामरा के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है तो वहीं विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी बता रहा है। कुणाल कामरा ने कॉमेडी के दौरान एक गीत गया, जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए एकनाथ शिंदे पर हमला किया। एक तरीके से कुणाल कामरा ने एकनाथ शिंदे को गद्दार कह दिया। इसके बाद से ही शिवसेना के नेता और कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के उस होटल में तोड़फोड़ की, जहां पर यह शूट किया गया।

शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने की तोड़फोड़

शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के खार इलाके में स्थित स्टूडियो और होटल यूनिकॉन्टिनेंटल में तोड़फोड़ की। शिवसेना कार्यकर्ताओं के अनुसार यहीं पर वीडियो शूट हुआ था, इसलिए उन्होंने तोड़फोड़ की है। वहीं कुणाल कामरा के खिलाफ एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई गई है। शिवसेना के विधायक मुराजी पटेल ने की शिकायत दर्ज कराई है।

वहीं शिवसेना नेता राहुल कनाल ने भी खार पुलिस स्टेशन में कुणाल कामरा, आदित्य ठाकरे, संजय राउत और राहुल गांधी के खिलाफ उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज कराने की मांग की है। राहुल कनाल ने इन नेताओं पर एकनाथ शिंदे का अपमान करने का आरोप लगाया है।

Kunal Kamra: कॉमेडियन कुणाल कामरा की एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी से बवाल, कई जगह तोड़फोड़, FIR दर्ज

जानें मामले पर किसने क्या कहा

  1. सीएम देवेंद्र फडणवीस का बयान: पूरे मामले पर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “स्टैंड-अप कॉमेडी करने की आज़ादी है, लेकिन वह जो चाहे बोल नहीं सकते। महाराष्ट्र की जनता ने तय कर लिया है कि गद्दार कौन है। कुणाल कामरा को माफ़ी मांगनी चाहिए। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कॉमेडी करने का अधिकार है, लेकिन अगर यह जानबूझकर हमारे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है, तो यह ठीक नहीं है। कुणाल कामरा ने राहुल गांधी द्वारा दिखाई गई वही लाल संविधान की किताब पोस्ट की है। दोनों ने संविधान नहीं पढ़ा है। संविधान हमें अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है, लेकिन इसकी सीमाए हैं। लोगों ने 2024 के विधानसभा चुनावों में हमें वोट दिया और समर्थन दिया। जो देशद्रोही थे, उन्हें लोगों ने घर भेज दिया। लोगों ने बालासाहेब ठाकरे के जनादेश और विचारधारा का अपमान करने वालों को उनकी जगह दिखा दी। कोई हास्य पैदा कर सकता है, लेकिन अपमानजनक बयान देना स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोई दूसरों की स्वतंत्रता और विचारधारा का अतिक्रमण नहीं कर सकता। इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता।”
  2. प्रियंका चतुर्वेदी का बयान: वहीं विवाद पर शिवसेना (शिंदे गुट) कार्यकर्ताओं द्वारा की गई तोड़फोड़ पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “वे एक ऐसे मज़ाक पर धमकी दे रहे हैं जिसमें एकनाथ शिंदे का नाम तक नहीं लिया गया। अगर आपको कोई आपत्ति है, तो एफआईआर दर्ज करें और हमें कानूनी प्रक्रिया से अवगत कराएं। उनकी तोड़फोड़ से पता चलता है कि इससे उन्हें ठेस पहुंची है और जो वे मज़ाक के ज़रिए कह रहे हैं, उसमें सच्चाई है। इसीलिए उन्होंने इस तरह का हमला किया है। उन्होंने नागपुर में इस तरह की आग लगाई। वे अब मुंबई में ऐसा कर रहे हैं। यह किस तरह की असहिष्णुता है? अगर आपको कुछ पसंद नहीं है, तो पुलिस में शिकायत दर्ज करें लेकिन अगर ऐसा व्यवहार होता है, तो मुझे लगता है कि मुंबई के लोग देख रहे हैं, महाराष्ट्र देख रहा है कि कैसे कानून और व्यवस्था को हाथ में लिया जा रहा है और वे गुंडागर्दी पर उतर आए हैं।”
  3. शिवसेना नेता शाइना एनसी का बयान: कॉमेडियन कुणाल कामरा विवाद पर शिवसेना नेता शाइना एनसी ने कहा, “आप महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय सीएम और डिप्टी सीएम को ‘गद्दार’ कहते हैं और फिर उसे कॉमेडी कहते हैं। यह कॉमेडी नहीं बल्कि अश्लीलता है। यह कुणाल कामरा कौन है जिसे यूबीटी ने ध्यान भटकाने के लिए कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया है? क्या आप सस्ती लोकप्रियता के लिए इस स्तर तक जा सकते हैं? शायद आपको नहीं पता कि एकनाथ शिंदे एक ऑटोरिक्शा चालक थे जो सीएम बन गए।”
  4. एनसीपी-एससीपी की प्रतिक्रिया: शिवसेना (शिंदे गुट) कार्यकर्ताओं द्वारा की गई तोड़फोड़ पर एनसीपी-एससीपी विधायक रोहित पवार ने कहा, “इस तरह की व्यंग्यात्मक टिप्पणियां बालासाहेब ठाकरे जैसे कई बड़े नेताओं की ताकत थीं। एकनाथ शिंदे उनके कार्यकर्ता हैं। 2003 में छगन भुजबल पर ऐसी टिप्पणी की गई थी, जो अब महायुति में हैं। उस समय उनके कार्यकर्ताओं ने एक कार्यालय में तोड़फोड़ की थी। इसकी जिम्मेदारी लेते हुए छगन भुजबल ने इस्तीफा दे दिया था। जब राहुल गांधी से एक सीरीज में राजीव गांधी पर की गई ओछी टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी के ऐसा कहने से राजीव गांधी का महत्व कम नहीं हो जाता। इसलिए, हर कलाकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि यह 2014 से पहले का दौर नहीं है। यहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं रही। इसलिए, सभी कलाकारों को सावधान रहना चाहिए। एकनाथ शिंदे बड़े नेता हैं, अगर कोई उन पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करता है, तो उनका कद कम नहीं हो जाता। मुझे लगता है कि नेताओं को अपने कार्यकर्ताओं को भी कुछ ज्ञान देना चाहिए।”