राजस्थान के कोटा जिले के जे. के. लोन अस्पताल में बच्चों की मौतों का सिलसिला नहीं थम रहा है। बीती रात हुई एक बच्चे की मौत के बाद मरने वालो का आकड़ा 107 पहुंच गया है। खुद लोकसभा स्पीकर व कोटा से सांसद ओम बिरला ने अस्पताल पहुंचकर हालात का जायजा लिया। साथ ही मरने वाले बच्चों के परिजनों से भी मुलाकात की है। बता दें कि इनमें 10 बच्चो की मृत्यु 48 घंटे के भीतर (23 से 24 दिसंबर के बीच) हुई थी। इनमें कई ऐसे बच्चे शामिल थे जिनको छोटे अस्पतालों द्वारा रेफर किया गया था। ज्यादातर बच्चों के माता-पिता मजदूरी का काम करते है। ये बच्चे कोटा समेत उसके पड़ोसी जिले से भी है। उन्होंने बताया कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वह प्राइवेट अस्पताल में जाकर बच्चों का इलाज करा सकें।
मृतक भरत (23 महीने) के पिता सागर सिंह: बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस ने मरने वाले बच्चों से बात की है इस बातचीत में अस्पताल की लापरवाही की बात सामने आ रही है। भरत की मृत्यु 24 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती होने के एक दिन बाद 5:15 बजे हुई। भरत के पिता ने एक्सप्रेस को बताया कि, “मेरे बेटे को बारां के एक अस्पताल ने जे के लोन अस्पताल में रेफर किया था । अस्पताल के कर्मचारी बहुत ही लापरवाह है। मेरी चाची ने नोटिस किया कि एक मरीज का कन्नुला काम करना बंद कर दिया है और उसे नहीं निकालने की वजह से हाथों में सूजन आ गई। इसके बारे में अस्पताल के कर्मचारियों को बताया गया फिर भी उन्होंने नया कन्नुला नहीं लगाया।” भरत के पिता बारां जिले में होमगार्ड का काम करते है साथ में एक छोटी दुकान भी चलाते है।
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इलाज के बजाय बहस कर रहा था डॉ.: उन्होंने आगे बताया कि उनके बेटे की तबीयत शाम के समय काफी गंभीर हो गया। मदद के लिए जब मेरी पत्नी ने डॉक्टर से बोला तो उसने डांटते हुए कहा तुम्हारा बेटा मर चुका है। लेकिन मेरा बेटा उस दौरान जिंदा था लेकिन डॉक्टर ने इलाज करने बजाए हमसे बहस करता रहा। जिसके कुछ समय बाद ही मेरे बेटे की मौत हो गई।
टोनू गौर के डेढ़ दिन के बच्चे की मौत: बारां जिले के बरदा के एक मजदूर टोनू गौर ने बताया कि उसके बच्चे को 21 दिसंबर को बारां के सरकारी अस्पताल से जे के लोन अस्पताल में रेफर किया गया था। क्योंकि उसके जन्म के तुरंत बाद ही कई बीमारियां पैदा हो गई थीं। टोनू का बच्चा सिर्फ डेढ़ दिन का था। अस्पताल के रिकॉर्ड में कहा गया है कि 23 दिसंबर को सुबह 4:30 बजे, “सेप्टिकमिया विद सेप्टिक शॉक” के कारण मौत हो गई।
पैसे की कमी के वजह से बच्चों का यहां करा रहे इलाज: गौर ने कहा कि उनके गांव के कई बच्चों को इस अस्पताल में रेफर किया गया है, क्योंकि यह क्षेत्र का सबसे बड़ा बच्चों का अस्पताल है और हमारे पास इतने पैसे भी नहीं है कि हम उन्हें इलाज के लिए निजी अस्पतालों में ले जाने के बारे में सोच भी सकें। इस दौैरान बच्चों के मरने की खबर मीडिया में आने के बाद से अस्पताल पर मंत्रियों का दौरा शुरू हो गया है। इसी क्रम में प्रदेश के डिप्टी सीएम सचिन पायलट आज हॉस्पिटल का दौरा करेंगे और सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौपेंगे।