Kolkata Rains: कोलकाता और उसके उपनगरों में मंगलवार को बहुत ज्यादा बारिश हुई। यह 1978 के बाद से सितंबर महीने का तीसरा सबसे ज्यादा बारिश वाला दिन रहा। 24 घंटों में 251.4 मिलीमीटर बारिश हुई। इससे पहले 28 सितंबर 1978 को 369.6 मिमी और 26 सितंबर 1986 को 259.5 मिमी बारिश हुई थी।
साल भर के सभी रिकार्डों को मिलाकर देखें तो यह बारिश शहर में अब तक की छठी सबसे ज्यादा एकल-दिवसीय बारिश है। सबसे तेज बारिश सुबह 2.30 बजे से 5 बजे के बीच दर्ज की गई। राज्य की राजधानी में लगभग 185 मिमी बारिश दर्ज की गई। मंगलवार तड़के शहर बादल फटने (एक घंटे में 100 मिमी) से बाल-बाल बचा। स्थानीय स्तर पर कई अनुकूल मौसम कारकों के कारण यह छोटी लेकिन तेज बारिश हुई।
क्या ये बादल फटने की वजह से हुआ?
आईएमडी के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “कोलकाता शहर में 251.4 मिमी बारिश हुई, यह आंकड़ा 23 सितंबर को सुबह 8.30 बजे दर्ज किया गया।” आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हालांकि प्रति घंटे अधिकतम बारिश 98 मिमी थी, लेकिन यह बादल फटने के मानदंडों को पूरा नहीं करती, जिसके लिए आमतौर पर प्रति घंटे 100 मिमी से ज्यादा की जरूरत होती है।”
सोमवार को बने एक निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण भारी बारिश हुई, जो पश्चिम बंगाल के गंगा तटीय क्षेत्रों और आसपास के क्षेत्रों की ओर बढ़ गया। इससे कोलकाता में नमी का एक मजबूत संगम हुआ। आईएमडी ने कहा, “डॉपलर मौसम रडार की तस्वीरों में नमी की मात्रा दिखाई दे रही है और बादल 5 से 7 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच रहे हैं। इससे तेज बारिश हो रही है।”
अधिकारियों ने बताया कि लो-प्रेसर सिस्टम बुधवार तक बना रहेगा। उसके बाद यह कम हो जाएगा। हालांकि, 25 सितंबर के आसपास बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक और कम दबाव का क्षेत्र बनने का अनुमान है। यह एक अवदाब में तब्दील हो सकता है और 27 सितंबर के आसपास दक्षिण ओडिशा-उत्तरी आंध्र प्रदेश के तटों को पार कर सकता है।
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इस विकसित हो रहे मौसम पैटर्न के कारण अगले सात दिनों में दक्षिण बंगाल के कुछ जिलों में हल्की से मध्यम बारिश होने के आसार हैं और कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। कोलकाता के मेयर और राज्य के कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम ने बाढ़ को अभूतपूर्व बताया और कहा कि आदि गंगा के आस-पास के इलाके भी पानी से भर गए। नहर से बहने वाली आदि गंगा नदी के उफान पर होने से प्राकृतिक जल प्रवाह रुक गया।
बाढ़ के कारण, अधिकारियों ने निचले इलाकों और सड़कों पर रहने वाले लोगों को आश्रय देने के लिए कई स्कूल भवनों को खोल दिया है। निगम और पुलिस को विस्थापित लोगों के लिए खाने की व्यवस्था करने का काम सौंपा गया है। मेयर ने उम्मीद जताई कि अगर आगे बारिश नहीं हुई तो रात तक पानी कम हो जाएगा।
दुर्गा उत्सव पर नहीं पड़ेगा कोई असर
भारी बारिश की वजह से मछुआरों के लिए भी वॉर्निंग जारी कर दी गई है। इसमें उन्हें 27 सितंबर तक पश्चिम बंगाल-ओडिशा तट पर समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। ऐसा इस वजह से है क्योंकि समुद्र की स्थिति की खराब है और मौसम तूफानी है। मौसम विभाग ने 26 सितंबर तक ओडिशा में बारिश जारी रहने की चेतावनी दी है, लेकिन पश्चिम बंगाल में फिलहाल बारिश रुक सकती है और आगामी दुर्गा पूजा उत्सव पर इसका असर नहीं पड़ेगा। इस मानसून में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की कई घटनाएं हुई हैं।