कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में लेडी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में अभी तक दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। इस मामले में सियासी विवाद बढ़ता जा रहा है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी ही पार्टी के नेता शांतनु सेन को इस मामले में बोलने पर प्रवक्ता पद से हटा दिया। शांतनु सेन ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की आलोचना करते हुए की तरह के सवाल उठाए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रिंसिपल के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं। यह बात सीएम ममता बनर्जी को नागवार लगी। उन्होंने उन्हें फौरन प्रवक्ता पद से हटा दिया। इस एक्शन के बाद भी शांतनु सेन ने लेडी डॉक्टर की मौत के मामले में दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
शांतनु सेन ने कहा- सीएम तक हर जानकारी नहीं पहुंच रही
शांतनु सेन टीएमसी नेता, पूर्व सांसद के साथ-साथ एक डॉक्टर भी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले तीन सालों से इस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायतें मिल रही थीं। उनका यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री तक हर जानकारी नहीं पहुंच रही है। इससे कुछ चीजें छिप जा रही हैं और सही कार्रवाई नहीं हो पाई। कुछ लोग इसमें बाधक बने हुए हैं।
प्रवक्ता पद से खुद को हटाए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट से उन्हें इसकी जानकारी मिली। शांतनु सेन ने कहा कि वे अपने बयान पर अब भी कायम हैं। उन्होंने कहा कि जब भी मैंने प्रवक्ता के तौर पर बयान दिया है न तो पार्टी के खिलाफ बोला और न ही किसी नेता के खिलाफ बोला है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी खबरें ऊपर तक सही ढंग से नहीं पहुंचाई जा रही हैं।
उन्होंने दूसरे दलों से आने वाले नेताओं के बारे में कई बातें कहीं। उन्होंने कहा, “दूसरी पार्टी वाले नेता हमारी पार्टी में आकर सम्मान लेते हैं तो बुरा लगता है। अपनी पार्टी के समर्पित और सच्चे सिपाही को यह सब झेलने के लिए मजबूर होना पड़ता है।”
शांतनु सेन ने कहा कि वह पहले भी पार्टी के लिए सच्चे सिपाही थे और आज भी हैं। वह अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं। इस बीच कोलकाता में हिंसा बढ़ गई है। गौरतलब है कि महिला डाक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में बुधवार की रात डाक्टरों के विरोध प्रदर्शन के दौरान बाहर से लोगों की एक भीड़ आई और उसने हिंसा और व्यापक पैमाने पर तोड़फोड़ की। खबरों के मुताबिक, उस भीड़ में शामिल लोगों ने प्रदर्शन स्थल, वाहनों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। यहां तक कि अस्पताल के आपातकालीन विभाग को भी नहीं बख्शा गया और सीसीटीवी की भी तोड़फोड़ की गई।