कोलकाता रेप कांड के आरोपी का आज शुक्रवार को पॉलीग्राफ टेस्ट होना है। उस टेस्ट को लेकर सारी तैयारी कर ली गई है। लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस पॉलीग्राफ टेस्ट को नार्को टेस्ट से कन्फ्यूज कर दिया है। जबकि असल में दोनों ही टेस्ट एक दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं।

पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है?

पॉलीग्राफ टेस्ट को लाइ डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है। इसमें मशीनों के जरिए आदमी की हार्ट बीट, बीबी, सबकुछ लगातार चेक किया जाता है। बड़ी बात यह होती है कि हर सवाल का जवाब देते वक्त शख्स की बॉडी भी एक तरह से रिएक्ट करती है। वो रिएक्शन ही यह पता करने में मदद करता है कि आरोपी सच बोल रहा है या झूठ। यहां पर यह समझना जरूरी है कि इस टेस्ट के दौरान आरोपी को कोई इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है। वो होश में होता है, उसके बस बिहेवियर को जज किया जाता है।

Psychological Profiling से मिलेगा हर सवाल का जवाब

नार्को टेस्ट क्या होता है?

वही बात जब नार्को टेस्ट की आती है, उसमें आरोपी को इंजेक्शन के जरिए सोडियम पेंटोथल दवाई दी जाती है। उस दवाई से आदमी बेहोशी की स्थिति में आ जाता है, लेकिन उसका दिमाग चल रहा होता है। ऐसा माना जाता है कि उस टेस्ट के सामने बड़े से बड़ा आरोपी भी फेल साबित होता है और सच कबूल कर लेता है। यानी कि सबसे बड़ा अंतर यही है कि पॉलीग्राफ में कोई इंजेक्शन नहीं लग रहा है और नार्को में दवाई देकर ही सवाल पूछे जाते हैं। वैसे दोनों टेस्ट में एक बात कॉमन भी है, कोर्ट से इजाजत लेना जरूरी है, इसके ऊपर जिस शख्स के साथ टेस्ट करना है, उसकी सहमति भी लेनी पड़ती है।

कोलकाता केस का लेटेस्ट अपडेट

वैसे कोलकाता मामले में शुक्रवार को आरोपी संजय रॉय को बड़ा झटका लगा है। उसे कोर्ट की तरफ से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। दूसरी तरफ कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से भी लगातार सीबीआई के सवाल-जवाब जारी हैं। माना जा रहा है कि इस केस में उनकी भी संदिग्ध भूमिका रही है।