Fort William: भारतीय सेना ने औपनिवेशिक विरासत से अलग होने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। कोलकाता स्थित सेना की पूर्वी कमान के मुख्यालय फोर्ट विलियम का नाम बदलकर ‘विजय दुर्ग’ कर दिया गया है। यह फैसला भारतीय इतिहास और राष्ट्रवाद के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि के रूप में लिया गया है। इस बदलाव के साथ ही कुछ अन्य ऐतिहासिक इमारतों के नाम भी बदले गए हैं। आइए जानते हैं कि फोर्ट विलियम का इतिहास क्या है, इसका नाम क्यों बदला गया और इसकी क्या खासियत है?

फोर्ट विलियम का इतिहास: ब्रिटिश शासन की विरासत

फोर्ट विलियम का निर्माण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने वर्ष 1781 में करवाया था। इसका नाम इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय के नाम पर रखा गया था। यह किला ब्रिटिश साम्राज्य के पूर्वी भारत पर प्रभुत्व और शक्ति का प्रतीक माना जाता था। इसका निर्माण हुगली नदी के किनारे किया गया था, जिससे यह एक मजबूत सैन्य अड्डे के रूप में काम कर सके।

ब्रिटिश शासन के दौरान फोर्ट विलियम का उपयोग सैन्य केंद्र के रूप में किया जाता था। यह किला अंग्रेजों के सैन्य अभियानों और प्रशासनिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा। भारत की आज़ादी के बाद यह भारतीय सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय के रूप में कार्य करने लगा।

क्यों बदला गया फोर्ट विलियम का नाम?

भारत सरकार पिछले कुछ वर्षों से औपनिवेशिक पहचान से छुटकारा पाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। इसी प्रयास के तहत फोर्ट विलियम का नाम बदलकर ‘विजय दुर्ग’ रखा गया है।

  1. छत्रपति शिवाजी को श्रद्धांजलि – नया नाम ‘विजय दुर्ग’ महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग तट पर स्थित किले से प्रेरित है, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक मजबूत नौसैनिक अड्डे के रूप में बनवाया था।
  2. राष्ट्रवादी पहचान – शिवाजी महाराज को भारतीय इतिहास में राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्रोत के रूप में देखा जाता है।
  3. औपनिवेशिक विरासत से मुक्ति – भारतीय सेना और सरकार का उद्देश्य है कि ब्रिटिश शासन की छवि वाले नामों को बदलकर भारतीय गौरव से जुड़े नाम दिए जाएं।
  4. भारतीय वीरों के सम्मान में बदलाव – सिर्फ फोर्ट विलियम ही नहीं, इसके भीतर स्थित कुछ अन्य ऐतिहासिक इमारतों के नाम भी बदले गए हैं, ताकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और सेना के महान नायकों को सम्मान दिया जा सके।
  5. और कौन-कौन से नाम बदले गए?
    सेना ने सिर्फ फोर्ट विलियम का ही नहीं, बल्कि इसके अंदर मौजूद कुछ प्रमुख इमारतों के नाम भी बदले हैं—
  • सेंट जॉर्ज गेट → अब ‘शिवाजी द्वार’
  • किचनर हाउस → अब ‘मानेकशा हाउस’ (फील्ड मार्शल सैम मानेकशा के सम्मान में)
  • रसेल ब्लॉक → अब ‘बाघा जतिन ब्लॉक’ (स्वतंत्रता सेनानी जतिंद्रनाथ मुखर्जी के सम्मान में)

बाघा जतिन यानी जतिंद्रनाथ मुखर्जी भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1915 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया था और ओडिशा के बालासोर में शहीद हो गए थे।

विजय दुर्ग की क्या खासियत है?

इतिहास से जुड़ी विरासत – फोर्ट विलियम का इतिहास भले ही ब्रिटिश शासन से जुड़ा हो, लेकिन अब ‘विजय दुर्ग’ का नाम इसे भारतीय परंपरा और गौरव से जोड़ रहा है।

सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण – 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से ही यह भारतीय सेना के पूर्वी कमान का मुख्यालय बना हुआ है, जो देश की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

170 एकड़ में फैला विशाल परिसर – वर्तमान में यह किला 170 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें कई आधुनिक और ऐतिहासिक संरचनाएं शामिल हैं।

राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक – इस किले का नया नाम अब भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को मजबूत करता है।

फोर्ट विलियम का ‘विजय दुर्ग’ में बदलाव सिर्फ नाम का परिवर्तन नहीं, बल्कि यह भारत के गौरवशाली अतीत और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मान देने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। यह निर्णय दर्शाता है कि भारत औपनिवेशिक अतीत से आगे बढ़कर अपनी संस्कृति और पहचान को प्राथमिकता दे रहा है। भारतीय सेना और सरकार द्वारा किए जा रहे इन बदलावों से आने वाली पीढ़ियां अपने स्वतंत्रता संग्राम और ऐतिहासिक विरासत को और अधिक गर्व से देख सकेंगी।