आज विदेश मंत्री एस जयशंकर अपना 66 वां जन्मदिन मना रहे हैं।  एस जयशंकर विदेश मंत्री बनने से पहले देश के विदेश सचिव भी रह चुके हैं।  वे प्रधानमंत्री मोदी के पसंदीदा डिप्लोमेट्स रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भारतीय विदेश सेवा से रिटायर होने से दो दिन पहले ही विदेश सचिव की ज़िम्मेदारी दे दी थी।  एस जयशंकर भारत और चीन के बीच उपजे डोकलाम विवाद को भी सुलझाने में सफल रहे थे।

नई दिल्ली में जन्मे एस जयशंकर की पढाई सेंट स्टीफेंस कॉलेज से हुई. इसके बाद उन्होंने आगे की पढाई के लिए बहुप्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में दाख़िला लिया। जहाँ उन्होंने एमफिल और पीएचडी की पढाई की। एस जयशंकर 1977 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए।  विदेश सेवा की नौकरी के दौरान उन्होंने अमेरिका, चीन और चेक गणराज्य में भारतीय राजदूत के रूप में काम किया।

एस जयशंकर ऐतिहासिक भारत – अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाले भारतीय टीम के प्रमुख सदस्य थे। इतना ही नहीं जयशंकर ने संयुक्त अरब अमीरात और इजरायल जैसे पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध को दृढ़ करने में अहम भूमिका अदा की। जयशंकर को चीन और अमेरिका के मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है।

जनवरी 2015 में एस जयशंकर को भारत का विदेश सचिव बनाया गया था.  उन्हें तब के विदेश सचिव रहे सुजाता सिंह की जगह नियुक्त किया गया था।  सुजाता सिंह को पद से हटाये जाने के फैसले पर कई लोगों ने मोदी सरकार की आलोचना की थी।  कहा जाता है कि अपनी पहली अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी जयशंकर से मिले थे और उसी दौरान उन्होंने न्यूयार्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन पर भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया था। जिससे उन्हें एक वैश्विक पहचान मिली थी।  

एस जयशंकर को विदेश मंत्री नियुक्त करने के बाद गुजरात से राज्यसभा का सांसद बनाया गया है।  हालाँकि भारतीय विदेश सेवा से रिटायर होने के बाद वे टाटा समूह के ग्लोबल कॉर्पोरेट हेड भी रह चुके हैं।  इसके अलावा वे पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के प्रेस सेक्रेटरी भी रह चुके हैं।  2019 में एस जयशंकर को देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।