दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भर दिया गया है। दिल्ली में बीजेपी की ओर से चुनाव अभियान की अगुवाई कर रही किरण बेदी ने नामांकन भरने से पहले  रोड शो किया।

किरण बेदी के अलावा अरविंद केजरीवाल और अजय माकन भी परचा भर चुके हैं।


पूर्वी दिल्ली की कृष्णानगर विधानसभा सीट से अपना नामांकन-पत्र दाखिल करते हुए भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी ने आज कहा कि पार्टी की ‘‘पारंपरिक’’ सीट से उतारे जाने के बाद उनकी जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है ।

केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, भाजपा की दिल्ली इकाई के प्रमुख सतीश उपाध्याय, विजय गोयल एवं महेश गिरि के साथ पर्चा दाखिल करने निकलीं बेदी दोपहर 12:05 बजे जिला निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय पहुंची ।

अपना नामांकन-पत्र दाखिल करने के बाद बेदी ने संवाददाताओं से यहां कहा, ‘‘भाजपा ने कृष्णा नगर में काफी काम किया है और यह डॉ. हर्षवर्धन की कड़ी मेहनत का नतीजा है ।’’

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि पहली जांच के बाद उनके नामांकन-पत्र में कोई गलती नहीं पाई गई । उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं ।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी पारंपरिक सीट कृष्णा नगर से उतारे जाने के बाद उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है, इस पर बेदी ने कहा, ‘‘हां, मैं माली हूं । इसमें एक हिस्सा मेरा भी है ।’’

इससे पहले, बेदी ने इलाके के लाजपत राय चौक से सुबह 9:30 बजे अपने रोड शो की शुरूआत की थी ।

रोड शो शुरू करने से पहले पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कृष्णा नगर में चाय और अखबार बेचने वालों से भी मुलाकात की और उनकी समस्याओं के बारे में पूछा ।

बेदी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हर्षवर्धन ने इस इलाके को अपना पूरा जीवन दिया है । इस इलाके :कृष्णा नगर: को दो नेता – एक कैबिनेट मंत्री और एक मुख्यमंत्री – मिलेंगे ।’’

हर्षवर्धन ने कहा कि वह इस बात से बहुत खुश हैं कि लोगों ने उनकी मदद की है, उन्हें आशीर्वाद दिया है और अब वही प्यार एवं स्नेह बेदी को भी दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल वे मुख्यमंत्री पद से वंचित रहे लेकिन अब उन्हें एक बार फिर इसी क्षेत्र से मुख्यमंत्री मिलेगा ।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या बेदी को कृष्णा नगर से इसलिए उम्मीदवार बनाया गया क्योंकि जीत के लिहाज से यह सुरक्षित सीट है, इस पर हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि भाजपा के लिए हर सीट एक सुरक्षित सीट है । आखिरकार, उन्हें एक सीट से लड़ना था । इसे सुरक्षित सीट समझने का मुझे कोई कारण या तर्क नजर नहीं आता । आखिरकार, हम राजनीति में हैं तो सबसे बेहतर सीट ही चुनेंगे । इसमें गलत क्या है ?’’