Damini Nath
खालिस्तानी संगठन वारिस पंजाब डे का प्रमुख अमृतपाल सिंह अप्रैल 2023 से असम की जेल में बंद हैं। इसके साथ ही उसने जेल से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। बीते 26 अप्रैल को अमृतपाल सिंह के माता-पिता ने जानकारी दी कि उनका बेटा खडूर साहिब लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगा। अब बड़ा सवाल उठता है कि क्या वह जेल से चुनाव लड़ सकता है और नियम क्या कहते हैं?
जेल में बंद लोगों के चुनाव लड़ने के बारे में क्या कहते हैं नियम?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 उन लोगों को संसद और राज्य विधानमंडलों की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर देता है जिन्हें किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो और दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा दी गई हो। अधिनियम की धारा 8 (3) कहती है, “किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया व्यक्ति और जिसे कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई गई, उसे सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और रिहाई के बाद भी छह साल की अवधि के लिए अयोग्य बना रहेगा।”
लेकिन अधिनियम विचाराधीन कैदियों को चुनाव लड़ने से नहीं रोकता है। अमृतपाल सिंह को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है। इसलिए वह अपने पहले के कई अन्य लोगों की तरह लोकसभा चुनाव लड़ सकता है।
क्या अमृतपाल सिंह को नामांकन के लिए जेल से बाहर आना होगा?
नहीं। नामांकन दाखिल करने के लिए उम्मीदवार या प्रस्तावक (जो संबंधित निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता है) को नामांकन फॉर्म पूरा करके रिटर्निंग ऑफिसर (RO) के सामने व्यक्तिगत रूप से मौजूद होना होगा। इसका मतलब है कि अमृतपल सिंह के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के लिए उपस्थित होना अनिवार्य नहीं है।
निर्दलीय उम्मीदवार के लिए अधिनियम के अनुसार प्रत्येक नामांकन के लिए 10 प्रस्तावक होने चाहिए। जबकि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के उम्मीदवारों के लिए एक प्रस्तावक की आवश्यकता होती है। प्रत्येक उम्मीदवार को दो साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों से संबंधित अपने नाम पर लंबित किसी भी मामले का विवरण प्रस्तुत करना होता है।
खडूर साहिब लोकसभा सीट का इतिहास क्या है?
खडूर साहिब का सिखों के लिए गहरा महत्व है, जहां आठ सिख गुरुओं ने दर्शन किए थे। शिरोमणि अकाली दल (बादल) 1992 से इस सीट पर जीतता आ रहा है। हालांकि 2019 के चुनावों में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, जब कांग्रेस उम्मीदवार जसबीर सिंह डिम्पा ने ये सीट जीती। इस बार अकाली दल (बादल) ने इस सीट से पूर्व विधायक विरसा सिंह वलतोगा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक कुलबीर सिंह जीरा को मैदान में उतारा है। बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी खडूर साहिब में पूर्व टॉप पुलिस अधिकारी गुरिंदर सिंह ढिल्लों को मैदान में उतारने की योजना बना रही है।
अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी का कारण क्या था?
30 वर्षीय अमृतपाल सिंह दो साल पहले तक पंजाब में अनजान था। वह 10 साल से दुबई में काम कर रहा था और 2022 में अभिनेता और एक्टिविस्ट दीप सिद्धू द्वारा शुरू किए गए संगठन वारिस पंजाब डे को संभालने के लिए पंजाब लौट आया। वारिस पंजाब डे का कहना है कि यह राज्य के युवाओं को सिख धर्म के सिद्धांतों का पालन करने और खालसा राज स्थापित करने में मदद करने के लिए काम करता है।
अपनी वापसी के बाद अमृतपाल सिंह ने खुद को खालिस्तान समर्थक मारे गए आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के रूप में पेश किया और पंजाब के गुरुद्वारों और सोशल मीडिया पर खालिस्तान के समर्थन में भाषण देना शुरू कर दिया। वह तब राष्ट्रीय सुर्खियों में आया जब उसने और उसके समर्थकों ने पिछले साल 23 फरवरी को वारिस पंजाब डे के सदस्य लवप्रीत सिंह की रिहाई की मांग को लेकर अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया।
अमृतपाल पर क्या आरोप हैं?
लवप्रीत को रिहा कर दिया गया, उसके बाद उठे राजनीतिक तूफान के कारण अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर पुलिस ने कार्रवाई की। वह एक महीने से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा और आखिरकार 23 अप्रैल को पंजाब के मोगा जिले के एक गुरुद्वारे से गिरफ्तार किया गया और असम के डिब्रूगढ़ की जेल में बंद कर दिया गया। उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया और उसके खिलाफ हत्या का प्रयास, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप हैं।