केरल सरकार राज्य की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर जेल में सजा काट रहे कई अपराधियों को मुक्त करने की योजना बना रही थी। जिसमें वह एनआरआई बिजनसमैन मोहम्मद निशाम भी शामिल है जिसने हथोड़ा मारकर अपने सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी थी। इसके अलावा पूर्व मार्क्सवादी टीपी चंद्रशेखरन को मारने वाला गैंग भी इसमें शामिल है। यह मामला उस समय सामने आया जब गुरुवार को एक लोकल न्यूज पोर्टल द्वारा आरटीआई के जरिए जेल विभाग से सरकार की इस योजना के बारे में पूछा गया था। जेल विभाग ने जानकारी दी की इस योजना के तहत 1,850 अपराधियों को रिहा करवाने की तैयारी की जा रही थी जिसमें कई हत्यारे भी शामिल हैं।

जेल विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राज्य सरकार द्वारा इस योजना के लिए राज्यपाल पी. सथासिवम को प्रस्ताव भेजा गया था। राज्यपाल ने प्रस्ताव को अस्वीकृत करते हुए इसे दो हफ्ते पहले सरकार को वापस भेज दिया था। इस मामले के सामने आने के बाद सियासी माहौल गरम हो चुका है। कांग्रेस ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि आखिर सरकार का इसमें क्या स्वार्थ है कि वह इतनी दरिंदगी से हत्या करने वाले अपराधियों को छुड़वाना चाह रही है। इस विषय पर जब सदन में विपक्ष ने सवाल उठाया तो मुख्यमंत्री पी. विजयन ने इस प्रकार की योजना से साफ इंकार कर दिया।

आपको बता दें कि पूर्व मार्क्सवादी टीपी चंद्रशेखरन की साल 2012 में उनके घर के बाहर हत्या कर दी गई थी। हत्या करने के जुर्म में 11 लोगों को अजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इन दोषियों में तीन सत्ताधारी सीपीआई के कार्यकर्ता भी शामिल हैं। वहीं एनआरआई बिजनसमैन मोहम्मद निशाम को कोर्ट ने अपने सुरक्षाकर्मी की हत्या करने के जुर्म में दोहरी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दो साल पहले निशाम ने अपने सुरक्षाकर्मी चंद्र बोस की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने घर का दरवाजा खोलने में देर कर दी थी। निशाम ने गुस्से में आकर बोस के सिर पर हथोड़े से वार कर दिया था। कोर्ट ने निशाम पर 70 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। इस मामले के बाद राज्य सरकार पर सवाल खड़े हो गए हैं कि निशाम ने केवल एक साल ही सजा के काटे हैं और सरकार उसे क्यों मुक्त करवाना चाह रही है।