पूरे देश में शराब की दुकानों में महिलाओं का काम करना अब भी सामाजिक वर्जना के तौर पर देखा जाता है लेकिन केरल इसका अपवाद है। राज्य की सरकारी शराब विपणन कंपनी केरल स्टेट बेवरेज कारपोरेशन (बेवको) के मुताबिक अब उसके कर्मचारियों में करीब 50 फीसद महिलाएं हैं। केरल देश का संभवत: पहला राज्य है जहां पर शराब की दुकानों में इतनी संख्या में महिला कर्मचारी काम कर रही हैं। यहां इसे अन्य सरकारी नौकरी की तरह एक नौकरी के रूप में देखा जाता है।

तिरुवनंतपुरम स्थिति शराब की एक दुकान पर दो साल से काम कर रहीं लीना ने बताया कि शुरुआत में मैं बहुत घबराई हुई थी क्योंकि हम इसे मुश्किल मानते थे लेकिन छह महीने काम करने के बाद मुझे अच्छा लगने लगा। हमें शायद ही कोई मुश्किल होती है। कई महिला कर्मचारियों के परिवारों को शुरुआत में उनके शराब की दुकान में काम करने को लेकर आशंकाएं थीं लेकिन ये महिलाएं ही थीं जिन्होंने शराब की दुकान में काम करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

महिलाओं की मानें तो अब नहीं आती मुश्किल

केएसबीसी की प्रबंध निदेशक हर्षिता अत्तालुरी ने बताया कि दस साल पहले महिलाएं अदालत गईं और शराब की दुकान में काम करने का अपना अधिकार प्राप्त किया। इससे पहले शराब की दुकानों में काम करने के लिए महिलाओं की भर्ती नहीं की जाती थी और अदालत ने सरकार को महिलाओं की भर्ती करने का निर्देश दिया था। अब हमारे कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 50 फीसद से अधिक है।

शुरुआत में शराब की दुकानों को महिलाओं के काम करने के लिहाज से मुश्किल माना जाता था लेकिन समय बीतने के साथ महिलाओं ने पाया कि उन दुकानों में काम करना सुरक्षित है और शायद ही उन्हें किसी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। अगर ग्राहक द्वारा दुर्व्यवहार की कोई शिकायत सामने आती है तो हम तत्काल प्रतिक्रिया करते हैं और पुलिस कार्रवाई करती है।

शराब की दुकान में काम करने वाली एक अन्य महिला कर्मचारी संगीता ने कहा कि हमारी एक ही समस्या यह है कि काम के घंटे अधिक है लेकिन हर पेशे की अपनी चुनौती होती है। हमने पाया कि अधिकतर ग्राहकों का व्यवहार मित्रवत और सहयोगात्मक रहता है। शराब की दुकान पर काम करने वाले कर्मचारियों को सुबह 10 बजे से रात नौ बजे तक काम करना होता है और सरकार द्वारा घोषित ‘ड्राई डे’ के दिन ही छुट्टी मिलती है।