केरल के वायनाड में 20 वर्षीय पशुचिकित्सा के छात्र सिद्धार्थन जेएस का शव 18 फरवरी को कॉलेज हॉस्टल के टॉयलेट के अंदर छत से लटकता मिला था। इसको लेकर अब पता चला है कि आत्महत्या करने वाले छात्र को उसके सीनियर्स और क्लासमेट्स ने करीब 29 घंटे तक टॉर्चर किया था, जिससे परेशान होकर ही उसने सुसाइड कर लिया था।

इस केस की जांच फिलहाल सीबीआई को सौंप दी गई है। केरल पुलिस की जांच में पता लगा है कि छात्र को उसके सीनियर्स ने रैंगिंग का शिकार बनाया था, और उसे खूब टॉर्चर किया था। छात्र को मानसिक रूप से काफी प्रताड़ित किया गया था, जिसके चलते उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया था। बता दें कि छात्र केरल के वायनाड जिले में स्थित पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के द्वितीय वर्ष के छात्र की मौत की जांच की जिम्मेदारी अब सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है।

पुलिस दस्तावेजों से पता चला है कि सिद्धार्थन को उसके साथियों और सीनियर्स ने 16 फरवरी को सुबह 9 बजे से 17 फरवरी को दोपहर 2 बजे तक ‘क्रूर रैगिंग’ का शिकार बनाया गया था। उन्होंने कथित तौर पर हाथों से और बेल्ट से उस पर कई वार भी किए थे। सीनियर्स की हरकतों से वह पूरी तरह से मानसिक तनाव में आ गया और उसे लगने लगा कि वह न तो संस्थान में पढ़ाई जारी रख सकता है और न ही इस कोर्स को छोड़कर घर जा सकता है।

पुलिस की जांच में हुए थे कई खुलासे

ऐसे में पीड़ित छात्र को लगने लगा था कि उसके पास सुसाइड के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है। उसने 18 फरवरी को दोपहर 12.30 से 13.45 बजे के बीच हॉस्टल के बाथरूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जानकारी के मुताबिक पुलिस ने शुरुआत में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया था, लेकिन अब तक की जांच के दौरान, कॉलेज के एंटी-रैगिंग स्क्वाड द्वारा पेश की गई रिपोर्ट और कॉलेज के डीन के बयान से यह समझ में आता है कि यह मामला मानसिक रूप से प्रताड़ित करने से जुड़ा भी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सामने आया कि छात्र की बॉडी पर चोट के निशान थे।

सीबीआई ने दर्ज किया केस

केंद्र सरकार द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद ही सीबीआई ने शुक्रवार देर रात 20 लोगों के खिलाफ वायनाड के विथिरी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को फिर से दर्ज कर लिया है। आरोपियों पर आपराधिक साजिश, आत्महत्या के लिए उकसाना, गलत तरीके से रोकना, स्वेच्छा से चोट पहुंचाना और केरल के रैगिंग विरोधी कानून से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई की एक टीम फोरेंसिक टीम के साथ आएगी और स्थानीय पुलिस की एफआईआर को दोबारा दर्ज करके जांच शुरू करती है। जांच पूरी होने के बाद अंतिम रिपोर्ट के रूप में जो निष्कर्ष अदालत को सौंपे जाते हैं, वे एफआईआर में लगाए गए आरोपों से बिल्कुल अलग हो सकते हैं।

इस मामले में सियासत भी हो रही है। विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने आरोप लगाया कि सरकार ने आश्वासन के कई सप्ताह बाद भी अभी तक आवश्यक फाइलें सीबीआई को नहीं सौंपी हैं। राजनीतिक हंगामे के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 9 मार्च को सीबीआई जांच का आश्वासन दिया था।