केरल के वायनाड जिले में भारी बारिश के बाद हुई लैंड स्लाइड में अब तक 276 लोगों की मौत हो चुकी है और अनेक लोग घायल हैं। बचावकर्मी मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं, जिससे मृतक संख्या और बढ़ने की आशंका है।

आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि भूस्खलन के बाद मुंडक्कई और चूरलमाला इलाकों में 180 से अधिक लोग लापता हैं और 300 से ज्यादा मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सेना, नौसेना और एनडीआरएफ के बचाव दल मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं। भूस्खलन की घटनाएं मंगलवार तड़के दो बजे से चार बजे के बीच हुईं, जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को बचने का मौका नहीं मिल पाया।

केरल में पिछले सात सालों में देशभर में सबसे अधिक लैंड स्लाइड

फ्रंटलाइन के मुताब‍िक डिजास्‍टर रिस्क कंसल्टेंट एस श्रीकुमार ने 2022 में द वीक को बताया था कि 1961 से 2016 के बीच केरल में लैंडस्लाइड के कारण 295 लोगों की मौत हुई। लेक‍िन, इस बार के भूस्‍खलन में मौतों का आंकड़ा 300 के पार भी जा सकता है।

जुलाई 2022 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि केरल में पिछले सात सालों में देशभर में सबसे अधिक लैंड स्लाइड हुई हैं। 2015 और 2022 के बीच हुए 3782 भूस्खलनों में से लगभग 59.2% (2239) केरल में हुए।

2018 में, केरल में विनाशकारी बाढ़ ने राज्य भर में 400 से अधिक लोगों की जान ले ली। 2021 में केरल के कोट्टायम और इडुक्की जिलों में कई भूस्खलन और बाढ़ के कारण दर्जनों लोग मारे गए।

2022 की IMD की क्लाइमेट रिपोर्ट ऑफ में कहा गया है कि मौसम संबंधी घटनाओं ने उस साल केरल में 32 लोगों की जान ले ली।

देश में हाल के वर्षों में आईं कुछ प्राकृत‍िक आपदाओं और उनसे हुए नुकसान के बारे में जानते हैं:

दक्षिण भारत में चक्रवात

दिसंबर 2023 में भारत के दक्षिणपूर्वी तट पर भीषण चक्रवात आया, जिसके बाद मूसलाधार बारिश और बाढ़ से कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई। चक्रवात मिचौंग के चलते आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश और लैंड स्लाइड हुई। जिसके चलते आंध्र प्रदेश में लगभग 9,500 लोगों को 211 राहत शिविरों में पहुंचाया गया था। प्रदेश में कई फ्लाइट्स और ट्रेनें कैंसिल करनी पड़ी थीं और फसलों को काफी नुकसान हुआ था। जिसके बाद तमिलनाडु में लगातार भारी बारिश के कारण सड़कें और रेलवे स्टेशन जलमग्न हो गए और कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई।

सिक्किम में बाढ़

3 अक्टूबर 2023 को उत्तरी सिक्किम की लोनाक झील में ग्लेशियर फटने से तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई। नदी में आई बाढ़ में कम से कम 179 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग विस्थापित हो गए थे। कई गांव-कस्बे जलमग्न हो गए थे और पल-सड़कें टूट गयी थी। यह सिक्किम में पिछले 50 साल में आई सबसे भीषण बाढ़ थी।

असम में बाढ़ से 79 लोगों की मौत

इसी तरह पिछले साल जुलाई में मानसूनी बारिश के बाद नदियों के उफान पर आने से असम में भारी बाढ़ आई। इस बाढ़ और भूस्खलन में कम से कम 79 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हो गए। राज्य के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 150 से अधिक जानवर डूब गए थे।

जोशीमठ में दरारें

2023 के पहले ही हफ्ते में उत्तराखंड के चमोली जिले में 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ में जमीन धंसने से कई घरों में दरारें आ गईं। विशेषज्ञों के अनुसार यह हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में बड़े पैमाने पर हुए विकास और बढ़ती पर्यटक संख्या का खामियाजा रहा है।

2021 में चमोली आपदा

2021 में उत्तराखंड में आई बाढ़, जिसे चमोली आपदा के रूप में भी जाना जाता है में भूस्खलन के कारण बड़े पैमाने पर हुई त्रासदी थी। लैंड स्लाइड के कारण अचानक आई बाढ़ के चलते 200 से अधिक मौतें हुईं (83 लोगों की मौत की पुष्टि हुई और 121 लापता लोगों को मृत मान लिया गया) थीं।

केरल में 2018 में सदी की सबसे भीषण बाढ़ देखी गई थी, जिसमें कम से कम 373 लोग मारे गए और 12 लाख लोग विस्थापित हुए। उस दौरान राज्य में सामान्य से 40 फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी।

केदारनाथ आपदा (2013)

केदारनाथ आपदा (2013)- उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम में साल 2013 में हुई विनाशकारी लैंड स्लाइड में हजारों लोगों ने जान गंवाई थी। इसके पीछे की वजह अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ को बताया गया। देश में अब तक देखी गई सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में से यह एक है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस त्रासदी में 5,700 से अधिक लोग मारे गए और 4,200 से अधिक गांव पानी में बह गए।

वायनाड में लैंडस्लाइड (Source- PTI)

भारत में प्राकृतिक आपदाओं के कारण 2018-22 में 2.73 करोड़ का नुकसान

ग्लोबल इंश्योरेंस कंपनी स्विस रे के मुताबिक, भारत में प्राकृतिक आपदाओं के कारण साल 2018-22 के दौरान 32.94 बिलियन डॉलर (273,500 करोड़ रुपये) का अनइंश्योर्ड इकोनॉमिक लॉस हुआ है। यान‍ि इस नुकसान का कोई बीमा नहीं था। कंपनी के मुताबिक, इस अवधि के दौरान इंश्योर्ड इकोनॉमिक लॉस केवल 1.10 अरब डॉलर (9,130 ​​करोड़ रुपये) था क्योंकि 93 प्रतिशत एक्सपोज़र बिना बीमा के थे।

2014 में, बिना बीमा के चलते हुए नुकसान की वजह से आर्थिक घाटा 15.18 अरब डॉलर (126,000 करोड़ रुपये) का था। इस दौरान बीमाकृत घाटा सिर्फ 1.29 अरब डॉलर का था। 2014 के बाद से कुल बिना बीमा वाला आर्थिक घाटा 74.83 अरब डॉलर (621,000 करोड़ रुपये) था जबकि बीमित घाटा सिर्फ 5.41 अरब डॉलर (44,900 करोड़ रुपये) का था।

स्विस रे ने एक रिपोर्ट में कहा था, “भारत भूकंप, बाढ़, चक्रवात, सूखा और जंगल की आग सहित कई प्राकृतिक आपदाओं से जूझता है। हालांकि, प्राकृतिक आपदा जोखिमों के खिलाफ बीमा सुरक्षा कम है लेकिन हमारे विश्लेषण से संकेत मिलता है कि 93% जोखिम बीम‍ित नहीं हैं।”