केरल के मुवत्तुपुझा में निर्मला कॉलेज के कुछ छात्रों द्वारा नमाज अदा करने के लिए कॉलेज में एक कमरा आवंटित करने की मांग की गई थी। इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। विरोध प्रदर्शन करने के कुछ दिनों बाद इस्लामी स्कॉलर्स के एक संगठन ने छात्रों से ऐसी मांगें करने से परहेज करने को कहा है जो नफरत पैदा कर सकती हैं।
दक्षिण केरल जमीयतुल उलमा के महासचिव मुहम्मद तौफीक मौलवी ने विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।उन्होंने कहा, “नमाज़ पढ़ना एक व्यक्तिगत और समयबद्ध धार्मिक प्रथा है। लेकिन धर्म किसी को प्रार्थना के लिए जगह आवंटित करने के लिए बाध्य करने की इजाजत नहीं देता। इस्लाम सिखाता है कि ऐसी जगह पर प्रार्थना करना मना है जिसे जबरन हासिल किया गया हो।”
पिछले शुक्रवार को मुवत्तुपुझा में निर्मला कॉलेज में लड़कियों के एक ग्रुप ने नमाज करने के लिए एक कमरे की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था। हालांकि कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया था कि वे लगभग 200 मीटर दूर एक मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए स्वतंत्र हैं।
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गौरतलब है कि कॉलेज का संचालन कैथोलिक चर्च द्वारा किया जाता है। भाजपा भी इस विवाद में कूद पड़ी और उसके प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने दावा किया कि कुछ चरमपंथी तत्व हिंदुओं और ईसाइयों द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रहे थे।
विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मौलवी ने कहा कि ऐसे मामलों में समुदाय के बुजुर्गों को हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम चर्च से बात करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा हर किसी को सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले बयान देने से बचना चाहिए।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की युवा शाखा यूथ लीग ने भी छात्रों से उन विरोध प्रदर्शनों से दूर रहने को कहा जो समाज में परेशानी पैदा करेगी। इस बीच कॉलेज के प्रिंसिपल फादर फ्रांसिस कन्नडन ने कहा कि संस्थान ने छात्रों की मांग पर गौर किया है, लेकिन हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। फादर ने कहा कि मांग पूरी नहीं की जा सकती और इस पर नफरत फैलाने वाला कोई विवाद नहीं होना चाहिए।