केरल में बाढ़ का पानी शहरी इलाकों में कम होने पर राहत की उम्मीद जरूर जागी है। मगर जैसे-जैसे राहत शिविरों से लोग घरों को वापस लौट रहे हैं, उनके सामने नए खौफ और नई चुनौतियां आ रही हैं। हाल ही में थिस्सूर के एक गांव में सोमवार को घर के बाहर जब कुछ लोग पहुंचे, तो उन्हें वहां आराम फरमाता हुआ मगरमच्छ नजर आया। वहीं, कुछ जगहों पर मकानों में कीचड़ और मिट्टी के बीच सांप और बिच्छू देखने को मिले।

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हो सकता है मगरमच्छ वहां पर किसी का शिकार करने के बाद आराम फरमा रहा हो। मैंने अपने अधिकारियों से कहा है कि वह उस मगर को सुरक्षित और खुले इलाके में छोड़ आए, जो कि गावों से दूर हो।”

मगरमच्छ चालाकुदी नदी के किनारे परियारम इलाके में पाया गया था। स्थानीय लोगों ने जैसे ही उसे देखा, तो अफरा-तफरी का माहौल पनप गया था। वन विभाग का दस्ता आता उससे पहले उन्होंने रस्सियों से मगर को बांध दिया, ताकि वह किसी पर हमला न करे। अधिकारियों के अनुसार, नदी के किनारे रहने वाले लोगों के सामने अक्सर मगरमच्छ आ जाते थे। लेकिन उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि मगरमच्छ बाढ़ का पानी घटने के साथ यूं अपना कब्जा घर के आसपास जमाएंगे।

कोचिन के परवूर में घर के भीतर भरे बाढ़ के गंदे पानी को निकालते लोग। (एक्सप्रेस फोटोः विग्नेश कृष्णमूर्ति)

बकौल वन विभाग अधिकारी, “लोगों को सांपों के लिए चिंता करनी चाहिए, क्योंकि बाढ़ का पानी घटने के बाद जगह-जगह सबसे अधिक वे ही पाए गए।” एक अंग्रेजी अखबार को लिटिल फ्लावर हॉस्पिटल के जन संपर्क अधिकारी ने बताया, “आज हमारे सामने सांपों के काटने के सात मामले सामने आए, जबकि कल 12 मामले आए थे।”

सांपों के काटने के सर्वाधिक मामले अर्नाकुलम के पारावुर में दर्ज किए गए। राज्य सरकार का जन संपर्क विभाग इस बाबत सोशल मीडिया पर एक अभियान चला रहा है। स्नेक एक्सपर्ट वावा सुरेश ने बताया कि लोगों को सांप, बिच्छू व अन्य रेंगने वाले जीव-जंतुओं को देखकर घबराना नहीं चाहिए।