केरल के नगर निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ कांग्रेस नीत यूडीएफ को शनिवार को तगड़ा झटका लगा और माकपा नीत एलडीएफ ने आधे से ज्यादा निकायों में जीत हासिल की जबकि भाजपा ने अपने प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया। पार्टी ने 100 सदस्यीय प्रतिष्ठित तिरुवनंतपुरम नगर निगम में 34 वार्डों में जीत हासिल कर यूडीएफ को तीसरे स्थान पर धकेल दिया।

इन चुनावों को राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। दो नवंबर और पांच नवंबर को दो चरणों में हुए चुनाव के नतीजों के अनुसार एलडीएफ ने छह नगर निगमों में से चार पर जीत हासिल की है। इसके अलावा उसने 86 नगर पालिकाओं में से 45 तथा 941 ग्राम पंचायतों में से 545 में भी जीत दर्ज की है।

यूडीएफ सिर्फ दो निगम, 40 नगरपालिका और 366 ग्राम पंचायतें ही जीत सकी। इसके बाद वाम मोर्चा और भाजपा ने सत्तारूढ़ मोर्चा के अभियान की अगुवाई करने वाले मुख्यमंत्री ओमन चांडी के इस्तीफे की मांग की।

भाजपा को अभी तक राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कोई कामयाबी नहीं मिली है। भाजपा ने एक नगरपालिका और 14 ग्राम पंचायतों में जीत हासिल की। लेकिन कई शहरों और खासकर तिरुवनंतपुरम, एर्नाकुलम और पलक्कड़ में उसने अच्छा प्रदर्शन कर दोनों गठबंधनों के लिए खतरे की घंटी बजा दी। भाजपा को केरल में पिछड़े समुदाय एझवा के संगठन श्री नारायण धर्म परिपालन योगम के साथ सहयोग के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के राजनीतिक एजंडे का फायदा मिलता प्रतीत हो रहा है।

प्रतिष्ठित 100 सदस्यीय तिरुवनंतपुरम नगर निगम में दोनों गठबंधनों को खासी टक्कर देते हुए भाजपा ने 34 वार्डों में जीत हासिल की और यूडीएफ को 21 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर भेज दिया। पिछले दो दशक से निगम पर नियंत्रण करने वाले एलडीएफ को 42 सीटें मिलीं और वह साधारण बहुमत से दूर रह गया। भाजपा का प्रदर्शन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि पिछले चुनाव में उसे सिर्फ छह वार्डों में कामयाबी मिली थी।

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से घोषित नतीजों के अनुसार एलडीएफ को कोल्लम और कोझिकोड निगमों में जीत मिली जबकि तिरुवनंतपुरम और त्रिसूर में वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरा। जबकि यूडीएफ को कोच्चि और कन्नूर निगम में कामयाबी हासिल हुयी। स्थानीय निकाय चुनावों के परिणामों की अहमियत इस लिहाज से ज्यादा है क्योंकि रिश्वत मामले को लेकर विपक्ष के हमले का सामना कर रहे सत्तारूढ़ मोर्चे को अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद थी। इस मामले में राज्य के वित्त मंत्री केएम मणि के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

स्थानीय निकायों के लिए हुए चुनावों के नतीजों को चांडी के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि परिणाम उनकी करीब साढ़े चार साल पुरानी सरकार के कामकाज पर रायशुमारी होंगे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एके एंटनी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वे नतीजों से चकित नहीं हैं लेकिन अप्रत्याशित पराजय से दुखी हैं। एलडीएफ की जीत की सराहना करते हुए माकपा के वरिष्ठ नेता वीएस अच्युतन और माकपा के राज्य सचिव के बालकृष्णन ने कहा कि यह यूडीएफ सरकार के खिलाफ फैसला है। प्रदेश के गृह मंत्री रमेश चेन्नीथला ने हार पर ‘गहरे आत्मचिंतन’ की जरूरत पर बल दिया।

भाजपा के शानदार प्रदर्शन पर खुशी जताते हुए प्रदेश अध्यक्ष वी मुरलीधरन ने कहा कि फैसला उन लोगों के लिए ‘उचित जवाब’ है जिन्होंने पार्टी को समाप्त मान लिया था। प्रदेश के छह निगमों, 941 ग्राम पंचायतों, 86 नगरपालिकाओं, 152 ब्लाक पंचायतों और 14 जिला पंचायतों के 21,905 वार्डों के लिए चुनाव कराए गए थे।