दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल कानूनी पंगे में फंसती दिख रही हैं। तीस हजारी कोर्ट की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने उनको समन किया है। अदालत को पहली नजर में ही वो दोषी दिखाई दे रही हैं। लिहाजा उनको कोर्ट में पेशी लगाने के लिए कहा गया है।

तीस हजारी कोर्ट की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरजिंदर कौर ने ये आदेश जारी किया। उनका कहना है कि कोर्ट के सामने जो दस्तावेज और तथ्य रखे गए हैं उनके मुताबिक सुनीता केजरीवाल पर केस बनता है। कोर्ट का कहना है कि 18 नवंबर को इस मामले पर गंभीरता से विचार किय़ा जाएगा।

दरअसल सुनीता केजरीवाल पर आरोप है कि उनके पास दो वोटर आईडी हैं। एक गाजियाबाद के पते पर है तो दूसरा दिल्ली का। दिल्ली बीजेपी के नेता हरीश खुराना ने ये शिकायत 2019 में दायर की थी। कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान अब लिया है। खुराना का आरोप है कि सुनीता केजरीवाल ने दो वोटर आईडी बनवा रखी हैं। एक आईडी गाजियाबाद (साहिबाबाद) के पते पर रजिस्टर है तो दूसरी चांदनी चौक के पते पर दर्ज है।

रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट की धारा 17 और 31 के तहत ये अपराध

खुराना का कहना है कि रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट की धारा 31 के तहत ये अपराध है। कोई भी भारतीय नागरिक एक ही समय में दो वोटर आईडी नहीं रख सकता है। बीजेपी नेता का कहना है कि रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट की धारा 17 और 31 के तहत उनको सजा दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि कोई आम नागरिक ये करता तो इसे लापरवाही मान सकते थे। लेकिन सुनीता एक राष्ट्रीय दल के संयोजक और एक सूबे के सीएम की पत्नी हैं। लिहाजा उनके खिलाफ केस चलाकर उनको कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, जिससे औरों को एक नजीर मिल सके। खुराना की तरफ से कोर्ट में एडवोकेट चैतन्या और रत्ना अग्रवाल ने मामले की पैरवी की। उनकी दलीलों पर कोर्ट सहमत दिखी तभी सुनीता को समन किया गया।

ध्यान रहे कि राजनीति में आने से पहले अरविंद केजरीवाल और उनकी पत्नी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। दोनों आयकर विभाग में तैनात रहे। पहले केजरीवाल ने नौकरी को अलविदा कहा। वो सीएम बने तो सुनीता केजरीवाल ने भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। वो पति के साथ रहती हैं।