Rajnath Singh News: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर भाषण देते समय अपना संयम खो बैठे। वह विपक्षी सांसदों पर नाराज दिखे, जिन्होंने उन्हें बीच में ही टोका। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
राजनाथ सिंह वंदे मातरम पर अपनी स्पीच दे रहे थे तभी उन्हें विपक्षी सांसद ने टोक दिया। इसके बाद राजाथ सिंह ने गुस्से में विपक्षी सांसद से पूछा, “कौन बैठाने वाला है? कौन बैठाएगा।” राजनाथ सिंह ने कहा, “क्या बात करते हो। नीचे बैठो, ये हिम्मत हो गई है।” कई बीजेपी नेताओं को भी सांसदों पर चिल्लाते हुए सुना जा सकता है, और वे पूछ रहे हैं कि उन्होंने मंत्री को बैठने के लिए कैसे कहा। इसके बाद सिंह ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से हस्तक्षेप करने को कहा, जिन्होंने विपक्षी सांसदों को शांत रहने का इशारा किया। इस वीडियो में 29.10 सेकंड से 29.27 तक राजनाथ सिंह को विपक्षी सांसद पर गुस्सा करते हुए देख सकते हैं।
राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर बोला हमला
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के बाद राजनाथ सिंह ने संसद में कांग्रेस पर हमला बोला और वंदे मातरम के विखंडन और तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया। सिंह ने कहा कि राष्ट्रगान को राष्ट्रीय चेतना में स्थान मिला, लेकिन राष्ट्रगीत को हाशिये पर डाल दिया गया।
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उन्होंने कहा, “आज यह स्वीकार करना होगा कि वंदे मातरम के साथ जो न्याय होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को समान स्थान दिया जाना था, लेकिन एक को राष्ट्रीय चेतना में स्थान मिला, जबकि दूसरे को हाशिए पर रखा गया। 1937 में कांग्रेस ने उसी धरती पर विखंडन का निर्णय लिया जहां वंदे मातरम की रचना हुई थी। यह एक गीत के साथ नहीं, बल्कि स्वतंत्र भारत के लोगों के साथ अन्याय था।”
वंदे मातरम राष्ट्रीय भावना का अमर गीत बना रहेगा- राजनाथ सिंह
इसके अलावा, रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि वंदे मातरम राष्ट्रीय भावना का अमर गीत बना रहेगा। उन्होंने कहा, “इसे सीमाओं में बांधने की कोशिश एक बहुत बड़ा धोखा था। वंदे मातरम अपने आप में पूर्ण है, लेकिन इसे अपूर्ण बनाने की कोशिशें हुईं। वंदे मातरम राष्ट्रीय भावना का अमर गीत रहा है और मैं इस बात पर जोर देता हूं कि यह हमेशा अमर रहेगा। दुनिया की कोई भी ताकत इसे कम नहीं कर सकती। वंदे मातरम के साथ अन्याय कोई अकेली घटना नहीं थी, बल्कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति की शुरुआत थी।”
