जम्मू के कठुआ में एक आठ साल की बच्ची से दरिंदगी और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग के साथ गैंगरेप की घटना के बाद देश भर में बलात्कार से निपटने के लिए कानून को और कठोर करने की मांग बढ़ गई है। इस बीच, केंद्र के साथ ही जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं और मंत्रियों के बेतुके बयानों ने पार्टी को पशोपेश में डाल दिया है। जम्मू-कश्मीर में उपमुख्यमंत्री का पद संभालने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता कविंदर गुप्ता ने कठुआ रेप कांड पर विवादास्पद बयान दे दिया। उन्होंने कहा था, ‘रसाना (कठुआ कांड) एक छोटी सी बात है…हमें यह सोचना पड़ेगा कि इस तरह की घटना दोबारा न हो और बच्ची को न्याय मिल सके। सरकार इस तरह की कई समस्याओं से जूझ रही है। हमें रसाना को इतना ज्यादा भाव नहीं देना चाहिए।’ इससे नया विवाद छिड़ गया है। कठुआ दुष्कर्म कांड पर भाजपा सांसद और पार्टी प्रवक्ता मिनाक्षी लेखी ने भी विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘केंद्र पर आरोप लगाने की यह कांग्रेस की योजना है। पहले ‘अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक’ फिर दलित-दलित और अब महिला-महिला चिल्ला रहे हैं।’ बलिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा, ‘नाबालिग लड़कियों का खुलेआम घूमना ठीक नहीं है। लड़कियों को मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उनके स्वच्छंद घूमने और मोबाइल का इस्तेमाल करने से उनके साथ रेप जैसी घटनाएं होती हैं।’ कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता केएस. ईश्वरप्पा भी बलात्कार को लेकर विचित्र बयान दे चुके हैं। उन्होंने एक महिला पत्रकार के संबोधित करते हुए कहा था, ‘आप एक महिला हैं और इस वक्त यहां मौजूद हैं। यदि कोई आपको खींचकर आपका रेप कर दे तो इसमें विपक्ष क्या करेगा?’
भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के दो साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराए जाने पर अजीबोगरीब बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘एक व्यक्ति ने राम रहीम पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए शिकायत दी, वहीं करोड़ों लोग उन्हें भगवान मानते हैं। ऐसे में आप किसे सही समझते हैं? यह राम रहीम और अन्य संतों को ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति को भी बदनाम करने की साजिश है। राम रहीम एक साधारण इंसान हैं, इसलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है।’ आरएसएस प्रमख मोहन भागवत ने वर्ष 2013 में कहा था, ‘इस तरह की घटनाएं (बलात्कार) भारत में न के बराबर ही होती हैं, लेकिन इंडिया में अक्सर इस तरह के मामले सामने आते हैं। गांवों में जाइए, वहां गैंगरेप या यौन अपराध नहीं होते हैं। शहरी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं ज्यादा होती हैं।’ अगस्त 2014 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, ‘दिल्ली में दुष्कर्म की एक छोटी सी घटना को दुनिया भर में इतना प्रचारित किया गया कि वैश्विक पर्यटन के क्षेत्र में देश को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।’ छत्तीसगढ़ में भाजपा नेता रामसेवक पैकरा ने जून, 2014 को कहा था, ‘दुष्कर्म एक सामाजिक अपराध है जो पुरुष और महिला पर निर्भर करता है। इस तरह की घटनाएं जानबूझकर नहीं, बल्कि दुर्घटनावश हो जाया करती हैं।’
अन्य दलों के नेता भी कुछ कम नहीं: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने अक्टूबर 2012 में कहा था, ‘पहले यदि पुरुष और महिलाएं हाथ में हाथ डालकर चलते थे तो पकड़े जाने पर मां-बाप उन्हें कड़ी चेतावनी देते थे, लेकिन अब सबकुछ खुला हुआ है। यह खुले विकल्पों के साथ खुले बाजार की तरह है। पुरुषों और महिलाओं के खुलेआम मिलने के कारण बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं।’ मुलायम सिंह यादव ने दुष्कर्म पर अप्रैल 2014 में कहा था, ‘लड़कों से गलतियां हो जाती हैं, ऐसे में उन्हें फांसी क्यों दिया जाए? हमलोग बलात्कार रोधी कानून को हटा देंगे।’