देशभर में फिल्म कश्मीर फाइल्स को लेकर बहस जारी है। बीजेपी फिल्म के बहाने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस को घेरने की कोशिश कर रही है तो वहीं विपक्ष भी इस मामले पर कड़ा पलटवार कर रहा है। इसी क्रम में जब नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला से कश्मीरी पंडितों के पलायन को लेकर बार-बार सवाल पूछा गया तो वो मीडियाकर्मियों पर भड़क उठे।
संसद सत्र से भाग लेकर जैसे ही जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला बाहर निकले, मीडिया के तीखे सवालों का उन्हें सामना करना पड़ा। पहले तो उन्होंने इस पर जवाब दिया फिर गुस्से से लाल हो उठे। अब्दुल्ला ने कहा- “इस पर उन्हें एक कमीशन बनानी चाहिए फिर वही बताएगा कि कौन जिम्मेदार था।”
आगे जब एक पत्रकार ने पूछा कि कागजात ये बताते हैं कि आपके सीएम रहते ही ये घटनाएं होनी शुरू हुईं थीं, जिम्मेदारी तो बनती है… इस सवाल पर अब्दुल्ला थोड़े से गुस्से में दिखे। उन्होंने फिर कहा कि अगर सच्चाई जाननी है तो कमीशन बनाओ।
बीजेपी के आरोपों पर आगे फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आरोप लगते रहते हैं। इसके बाद गुस्साए अब्दुल्ला वहां से अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गए। बता दें कि बीजेपी का आरोप है कि अब्दुल्ला जिस समय सीएम थे, उसी समय से कश्मीरी पंडितों पर जुल्म शुरू हो गया था, तब जम्मू-कश्मीर की सरकार ने कुछ नहीं किया था।
वहीं नेशनल कांफ्रेंस का कहना है कि उसका और उसके नेता का कश्मीरी पंडितों के पलायन से कोई लेना-देना नहीं है। जब उसकी सरकार थी, तब सबकुछ ठीक था। कांग्रेस का भी कुछ इसी तरह का मत है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जब कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ तब केंद्र में बीपी सिंह की सरकार थी, जिसे भाजपा का समर्थन हासिल था। वहीं राज्य में राष्ट्रपति शासन था।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन के समय बीजेपी चुप्पी साधी हुई थी। राजीव गांधी ने जब इस घटना के खिलाफ मोर्चा खोला तब जाकर सरकार और भाजपा की नींद खुली थी।