जम्‍मू कश्‍मीर पुलिस और सेना के लिए इन दिनों आतंकियों के अंतिम संस्‍कार में उमड़ रही भीड़ चिंता का विषय बनी हुई है। रविवार रात को मारे गए हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर दाऊद अहमद शेख के अंतिम संस्‍कार में हजारों लोग शामिल हुए। भीड़ ने अंतिम संस्‍कार में देरी के लिए गांव वालों पर दबाव डाला और तीन बार जनाजे की नमाज तीन बार पढ़ी गई। हाल के महीनों में इस तरह की घटनाओं में तेजी देखने को मिली है। हालांकि सुरक्षाबलों ने आतंकवादी गतिविधियों के गढ़ दक्षिण कश्‍मीर में उग्रवाद के खिलाफ अच्‍छी खासी सफलता हासिल की है। लेकिन ताजा मामले परेशानी खड़ी कर रहे हैं।

कश्‍मीर के आईजीपी जावेद मुज्‍तबा गिलानी ने बताया,’ऐसा काफी दिनों से हो रहा है। यह चिंता का विषय है। हम इसकी जांच कर रहे हैं और रोकने के लिए कदम भी उठा रहे हैं।’ वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार 21 साल के मुजफ्फर वानी के हिजबुल कमांडर बनने के बाद से ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। एक अधिकारी ने बताया कि आजकल जब सुरक्षाबल आतंकियों को घेर लेते हैं तो युवा उन्‍हें भगाने में मदद करने के लिए आ जाते हैं। युवा मुठभेड़ वाली जगह इकट्ठे हो जाते हैं और सुरक्षाबलों पर पथराव करते हैं।

जम्‍मू कश्‍मीर पुलिस के उग्रवाद रोधी यूनिट से जुड़े अधिकारी का कहना है,’यह खतरनाक जरिया है। सच बात है कि लोग आतंकियों की मदद करने के लिए अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं जो कि चिंताजनक है। इससे पता चलता है कि कुछ गड़बड़ हुई है।’ पिछले साल नवंबर में लश्‍कर ए तैयबा के कमांडर और उधमपुर हमले के मास्‍टरमाउंड कासिम के जनाजे में 30 हजार लोग शामिल हुए थे। उसके गांव कुलगांव के लोगों ने तीन दिन तक बंद रखा था। कासिम के अंतिम संस्‍कार के बाद पुलिस को पाकिस्‍तानी आतंकियों के शव स्‍थानीय लोगों को देने की रणनीति में बदलाव करना पड़ा। इसके बाद से सुरक्षाबल एलओसी के पास ही पाक आतंकियों को दफना रहे हैं।

वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, ‘लगता है कि तीसरी पीढ़ी बंदूक की तरफ आकर्षित हो रही है। काफी समय से घाटी के लोगों ने बंदूक का त्‍याग कर रखा था। लेकिन अब जो हो रहा है वह चिंताजनक है।’ पुलिस ने एडवायजरी जारी कर लोगों से मुठभेड़ की जगहों से दूर रहने को कहा है। वहीं राज्‍य सरकार ने मुठभेड़ वाली जगह के ढाई किलोमीटर की परिधि में लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है।