कर्नाटक सरकार में मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने सीएम बीएस येदियुरप्पा पर आरोप लगाए हैं कि मुख्यमंत्री उनके काम में दखल देते हैं। मंत्री ने येदियुरप्पा पर तानाशाही रवैया अपनाने के आरोप भी लगाए हैं। इस बाबत मंत्री ने राज्यपाल और बीजेपी नेतृत्व से शिकायत भी की है।

राज्यपाल से शिकायत करते हुए कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री ईश्वरप्पा ने कहा कि सीएम उनके मंत्रालय में सीधे तौर पर हस्तक्षेप करते हैं जो कि उनके कैबिनेट मंत्री के अधिकारों का हनन है। इस शिकायत की कॉपी मंत्री ने पीएम मोदी, गृह मंत्री शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी भेजी है। मंत्री ने कहा कि सीएम ने बिना उन्हें बताए उनके मंत्रालय से 774 करोड़ रुपए का आवंटन तक कर दिया। एक और उदाहरण देते हुए मंत्री ने कहा कि सीएम ने एक जिले के लिए 65 करोड़ रुपए मेरे विभाग से जारी किए। इस दौरान सीएम ने राज्य के बाकी जिलों को नजरअंदाज किया।

मंत्री ने कहा कि दुख की बात ये है कि सीएम ने जानबूझकर उन्हें नजरअंदाज करते हुए ये आदेश जारी किए। मंत्री ने कहा कि अगर ऐसा जारी रहा तो न जाने वे मंत्री के तौर पर काम कर भी पाएंगे या नहीं।


मंत्री ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने सीएम को पत्र भी लिखा था। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। मालूम हो कि ये पहले मौका नहीं है जब येदियुरप्पा के मंत्री ने उनके खिलाफ रुख दिखाया हो।

गौरतलब है कि एक समय में मंत्री ईश्वरप्पा मुख्यमंत्री के करीबी हुआ करते थे। लेकिन बीते समय में कैबिनेट में नए मंत्रियों, खासकर वे जो कांग्रेस से बीजेपी में आए और जिन्होंने येदियुरप्पा को सत्ता तक पहुंचाया, के आने से स्थिति में बड़ा बदलाव आया है।

इससे पहले राज्य से बीजेपी के विधायक बसंगौड़ा पाटिल यत्नाल ने कहा था कि राज्य में अगले चुनाव से पहले येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाना होगा।

विधायक बसंगौड़ा पाटिल यत्नाल ने कहा, ”राज्य में मुख्यमंत्री का बदलाव 100 फीसदी जरूरी है। वरना मौजूदा मुख्यमंत्री के साथ अगला चुनाव लड़ना मुश्किल होगा। बीजेपी राष्ट्रीय सचिव अरुण सिंह भी इस बात से परिचित हैं। लेकिन वह बस दिखाने के लिए कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बदलेगा।”

येदियुरप्पा के विरोधी माने जाने वाले बीजेपी विधायक पाटिल ने कहा कि तीन मुख्यमंत्रियों को बदलने की जरूरत पर चर्चा लंबे समय से चल रही है। कर्नाटक में भी चुनाव बाद बदलाव होगा।