एक स्टूडेंट को 35 साल पहले सरकारी नौकरी दिलाने का वादा कर उससे पैसे झटकने वाल शख्स को पुलिस ने 35 साल बाद खोज निकाला है। यह शख्स एक स्टूडेंट से 200 रुपये लेकर फरार हो गया था। मामला 1990 का है जब 200 रुपए बहुत काम आते थे। संघर्ष कर रहे 20 वर्षीय छात्र वेंकटेश महादेव वैद्य के लिए यह रकम उम्मीद की किरण थी जो उसने एक अजनबी को सरकारी नौकरी दिलाने का वादा करने पर दिए थे। पैसे लेने के बाद वह व्यक्ति रातों-रात गायब हो गया और वैद्य द्वारा दायर मामला 35 साल तक अनसुलझा रहा।
पिछले हफ़्ते एक चालाक कूरियर चाल के ज़रिए आखिरकार आरोपी बी केशवमूर्ति राव को पकड़ लिया गया जो अब 72 साल के हो चुके हैं। इसी के साथ ही कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी ग्रामीण पुलिस ने थाने के सबसे पुराने पेंडिंग मामले का समापन किया।
35 साल पहले दर्ज किया था मामला
पुलिस इंस्पेक्टर मंजूनाथ गौड़ा जिन्होंने दो महीने पहले ही पुलिस स्टेशन का कार्यभार संभाला था, पुराने मामलों को देख रहे थे तभी उनकी नजर एक मामले पर पड़ी। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “यह थाने का सबसे पुराना पेंडिंग मामला था। मुझे यह दिलचस्प लगा क्योंकि मामला 200 रुपये को लेकर दायर किया गया था।”
उन्हें यह भी पता चला कि गौड़ा ने उस कस्बे में काम किया था, जहां आरोपी राव रहा करते थे। इंस्पेक्टर गौड़ा ने कहा, “मैंने कुंदापुरा में अपने नेटवर्क के साथ कुछ डीटेल शेयर किए और पता चला कि वह दो दशक से अधिक समय पहले शहर छोड़ चुके थे।”
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पुलिस ने आरोपी को ऐसे दबोचा
इंस्पेक्टर मंजूनाथ केशवमूर्ति राव के रिश्तेदारों से संपर्क करने में कामयाब हो गए और उसका फोन नंबर हासिल कर लिया। पुलिस ने पाया कि वह बेंगलुरु में रहता था, जहां वह एक कन्नड़ कार्यकर्ता बन गया था और अकेले रह रहा था। आम तौर पर, यहीं पर उसका पीछा करना बंद हो जाता। सिरसी में पुलिस 200 रुपये के मामले में 400 किलोमीटर की यात्रा करके बेंगलुरु जाने की स्थिति में नहीं थी।
इस बीच जून के आखिरी हफ़्ते में पुलिस कांस्टेबल मारुति गौड़ा जो कबड्डी खिलाड़ी भी हैं, वार्षिक पुलिस खेल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बेंगलुरु जा रहे थे, इंस्पेक्टर मंजूनाथ गौड़ा ने उन्हें प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद केशवमूर्ति राव के बारे में पता लगाने को कहा। कांस्टेबल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैंने कूरियर ऑफिस के कर्मचारी के रूप में उसे फोन किया और नाम की पुष्टि की। मैंने उसे पार्सल लेने के लिए कूरियर ऑफिस आने को कहा। जब वह आया तो मैंने उसे उठाया और सिरसी ले आया।”
सरकारी नौकरी के नाम पर ठगे 200 रुपये
FIR करने वाले वेंकटेश महादेव वैद्य फरवरी 1990 में उस समय बी.कॉम. के छात्र थे और अपनी पढ़ाई के लिए छोटे-मोटे काम कर रहे थे। इस बीच उनकी मुलाकात केशवमूर्ति राव से हुई, जिन्हें सिरसी में प्रभावशाली माना जाता था।
वैद्य ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मेरे माता-पिता मज़दूर थे। बीके राव ने मुझे सरकारी नौकरी दिलाने का वादा किया और 200 रुपये की रिश्वत मांगी। उस समय यह बड़ी रकम थी। उनका प्रस्ताव आशाजनक लग रहा था। इसलिए मैंने एक बुज़ुर्ग व्यक्ति से कर्ज लिया और राव को पैसे चुकाए।” बीके राव के तुरंत लापता हो जाने के बाद वेंकटेश ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “मैं रोया क्योंकि मैंने इतनी बड़ी रकम खो दी थी। इसके बाद मैं जीवन में आगे बढ़ गया।”
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1990 में दर्ज किया केस 2025 में सॉल्व हुआ
महादेव वैद्य ने बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में काम करने लगे। उन्होंने बेंगलुरु में एसबीआई शाखा के मुख्य प्रबंधक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। हर दो या तीन साल में उन्हें राव के बारे में जानकारी मांगने के लिए पुलिस से कभी-कभार फोन आता था। जुलाई 2025 के पहले सप्ताह में वैद्य को एक ऐसा फोन आया जिसकी उन्होंने कभी उम्मीद नहीं की थी।
सिरसी ग्रामीण पुलिस ने आखिरकार केशवमूर्ति राव को गिरफ्तार कर लिया जिस पर महादेव ने कहा, “गिरफ्तारी तो छोड़िए मैंने कभी नहीं सोचा था कि राव को फिर कभी देखा भी जाएगा।” पिछले हफ़्ते राव कोर्ट में पेश हुए और वैद्य से माफ़ी मांगी। सेवानिवृत्त बैंकर ने कहा, “अब उनकी उम्र 72 साल है, 200 रुपए तब बहुत ज़्यादा पैसे हुआ करते थे लेकिन अब नहीं। मानवीय आधार पर मैंने उन्हें माफ़ कर दिया।” वैद्य के केस वापस लेने के निर्णय पर विचार करते हुए अदालत ने केस बंद करने का आदेश दिया। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स