नाबालिग के साथ रेप के एक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर पीड़िता की उम्र 16 साल से कम है को आरोपी की जमानत पर फैसला करने से पहले अदालत को लड़की का पक्ष सुनना ही होगा। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की उम्र की गणना शिकायत दर्ज कराने वाले दिन के मुताबिक नहीं की जाएगी। बल्कि यह देखा जाएगा कि वारदात वाले दिन उसकी आयु क्या थी।

मामले के मुताबिक पीड़िता एक कॉलेज में पढ़ती थी। वहां के एक शिक्षक ने उसे एक दिन अपने घर बुलाया और अपनी पत्नी के साथ मिलकर लड़की के साथ यौन संबंध बनाए। यही नहीं उन लोगों ने उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें भी उतार लीं। लड़की को धमकी दी गई कि अगर उसने मुंह खोला तो वो उसे बदनाम कर देंगे। उसके बाद भी लड़की का शोषण किया जाता रहा।

हालांकि, लड़की जब उनकी ज्यादती को सहन नहीं कर सकी तो उसने वारदात से तकरीबन 2.5 साल बाद पुलिस में मामले की शिकायत दर्ज कराई। उसके बाद शिक्षक व उसकी पत्नी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। आरोपियों ने जिला अदालत में जमानत के लिए याचिका दी थी। कोर्ट ने दोनों की जमानत को मंजूर कर लिया। इस दौरान सरकारी वकील के साथ आरोपियों के वकीलों का पक्ष सुना गया लेकिन लड़की के वकील को सुनवाई के लिए कोई मौका नहीं दिया गया।

जस्टिस एचपी संदेश ने अपने फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा 439 (1ए) के तहत यह जरूरी है कि पीड़िता के नाबालिग होने की सूरत में आरोपियों की जमानत पर कोई निर्णय करने से पहले उसका पक्ष जाना जाए। इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। आरोपियों के वकील ने जब यह दलील दी कि शिकायत दर्ज कराते समय लड़की की उम्र 17 साल थी तो हाईकोर्ट ने कहा कि उम्र का निर्धारण वारदात वाले दिन से होगा।

आरोपियों के वकील का ये भी कहना था कि लड़की ने देर से केस दर्ज कराने की कोई वाजिब वजह नहीं बताई। हाईकोर्ट का कहना था कि रेप पीड़िता की मानसिक हालत क्या होती है इसका अंदाजा लगाकर ही वो अपनी दलील कोर्ट को दें।