कर्नाटक की सिद्धरमैया सरकार की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की तरफ से लाए गए धर्मांतरण रोधी कानून को निरस्त किया जाएगा। कैबिनेट मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि कैबिनेट ने इस आशय के प्रस्ताव को पास कर दिया है। बीजेपी सरकार 2021 में एक बिल लेकर आई थी। उसके बाद फैसला लिया गया कि बिल को प्रभावी बनाने के लिए एक आर्डिनेंस लाया जाए। 17 मई 2022 को इसे कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने मंजूरी दे दी थी। सितंबर में इसे सदन से पारित भी करा दिया गया था। कांग्रेस ने तब भी इसका विरोध किया था।
एक अन्य अहम फैसले में कर्नाटक कैबिनेट ने बृहस्पतिवार को कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों के संशोधन को मंजूरी दे दी। मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए राज्य में कक्षा छह से दस तक की किताबों को लेकर ये फैसला किया गया है। इसके तहत आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर पर केंद्रित अध्यायों को हटाने का फैसला किया।
सावित्रीबाई फुले, इंदिरा गांधी को लिखे गए नेहरू के पत्र होंगे पाठ्यक्रम में शामिल
कैबिनेट की बैठक में यह भी फैसला किया गया कि सावित्रीबाई फुले, इंदिरा गांधी को लिखे गए नेहरू के पत्रों और बीआर आंबेडकर पर कविता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। भाजपा की पिछली सरकार ने जो बदलाव किए थे उनको हटाया जाएगा। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इस आशय से जुड़ा वायदा किया था कि वह स्कूली पाठ्यपुस्तकों में भाजपा सरकार द्वारा किए गए बदलावों को हटा देगी।
कांग्रेस ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को भी खत्म करने का वायदा किया था। कानून व संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि पाठ्यपुस्तकों में संशोधन के संबंध में कैबिनेट ने विभाग द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा की और अपनी मंजूरी दे दी। प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा कि कांग्रेस ने पाठ्य पुस्तकों में संशोधन करने का वायदा किया था। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की ख्वाहिश है कि जो भी वायदे जनता से किए गए थे, उन पर तत्काल प्रभाव से अमल किया जाए।