शिवसेना नेता संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गैंगस्टर करीम लाला से मुलाकात वाली अपनी टिप्पणी गुरुवार को वापस ले ली। राउत ने कहा, अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधी की छवि को नुकसान पहुंचा या किसी की भावनाएं आहत हुईं, तो मैं उसे वापस लेता हूं। राउत ने बुधवार को दावा किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मुंबई में डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं। राउत के इस बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस को जमकर घेरा। इस बीच करीम लाला चर्चा के केंद्र में है।

आखिर करीम लाला कौन थे जिनसे इंदिरा गांधी मिलने जाती थीं? करीम लाला एक अंडरवर्ल्ड डॉन था। उसका असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था और वह पठान गैंग का सरगना था। उन्हें पश्तून समुदाय का आखिरी राजा भी कहा जाता है। करीम का जन्म 1911 में अफगानिस्तान में कुनार प्रांत के संपन्न कारोबारी परिवार में हुआ था। वह 21 साल की उम्र में अफगानिस्तान से भारत आया था।

ज्यादा पैसे कमाने की इच्छा उसे जुर्म की दुनिया में दखेल लाई। कहा जाता है कि जिस वक्त अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम पैदा नहीं हुआ था उस वक्त करीम लाला मुंबई पर राजा करता था। 50 के दशक में करीम का एकछत्र राज हुआ करता था। शुरुआती दिनों में उसने मुंबई में एक किराए का मकान लेकर वहां जूए का अड्डा खोला था। इसमें शहर के नामी-गिरामी लोग जूआ खेलने आते थे।

इसके बाद उसने सोने, गहनों और हीरों की तस्करी का काम शुरू किया। अपने बाहुबल का इस्तेमाल कर उसने तस्करी के जरिए अथाह दौलत कमाई। अथाह दौलत आने पर करीम ने मुंबई में शराब और जूए के अड्डे खोल दिए। करीम की छवि गरीबों के बीच रॉबिनहुड की तरह थी।

उसके पास हर समुदाय और संप्रदाय के लोग मदद मांगने आते थे। वह बतौर मध्यस्थ हर तरह के मामलों का निपटारा करता था। लेकिन वह तलाक के मामलों का निपटारा नहीं करता था। अपनी इसी छवि की वजह से वह लोगों के बीच काफी पॉपुलर था।

कहा जाता है कि करीम ने दाऊद इब्राहिम को मुंबई की सड़कों पर गिरा-गिराकर पीटा था। यही नहीं उसने 1981 में दाऊद के भाई शब्बीर को मरवा दिया था। शब्बीर की मौत के ठीक पांच साल बाद 1986 में दाऊद के गुर्गों ने करीम लाला के भाई रहीम खान को मार डाला था वह माफिया डॉन मिर्जा हाजी मस्तान का खास दोस्त था। 90 साल की उम्र में 19 फरवरी 2002 को मुंबई में ही करीम लाला की मौत हो गई थी।