Kargil Vijay Diwas: परमवीर चक्र से सम्मानित योगेंद्र सिंह यादव की यात्रा किसी बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर की स्क्रिप्ट की तरह लगती है। 19 साल की छोटी सी उम्र में अपनी सेना की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद यादव को जम्मू-कश्मीर के द्रास में टाइगर हिल पर कब्जा करने का काम सौंपा था। 15 गोलियां लगने के बाद भी अतुलनीय ताकत का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने पाकिस्तान के बंकर पर हमला करके उसे तबाह कर दिया था और पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर दिया।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव टाइगर हिल की चोटी के पर जा ही रहे थे कि वहां पर कई सारे पाकिस्तानी सैनिकों के बंकर थे। इसमें से पाकिस्तानियों पर बहुत पास से गोलियां चलाईं और उनमें से आठ को नीच गिरा दिया। हालांकि, उनमें से दो भागने में कामयाब हो गए।
35 पाकिस्तानी सैनिकों ने बोला हमला
ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और उनके साथियों पर कुछ ही देर बाद 35 पाकिस्तानियों ने हमला बोल दिया और हर तरफ से घेर लिया। उनके साथ आए बाकी सभी 6 साथी शहीद हो गए। वह भारतीय और पाकिस्तान की सैनिकों की लाशों के बीच में पड़े हुए थे। पाकिस्तानियों का इरादा सभी भारतीय सैनिकों को खत्म कर देने का था। इसलिए वे लाशों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे।
योगेंद्र यादव इस गोलीबारी में घायल हो गए थे और तभी अचानक से एक पाकिस्तानी फौजी ने ग्रेनेडियर के हाथ और पैर पर गोली मारी। योगेंद्र यादव खून से लथपथ पड़े हुए थे और फिर से उनके सीने पर गोलियां मारी। हालांकि, उनके लिए गनीमत यह रही कि उनकी जैकेट की जेब में रखे एक सिक्के की वजह से उनकी जान बच गई। योगेंद्र यादव को करीब 15 गोलियां लग चुकी थीं।
ग्रेनेड खींचकर दुश्मन के उड़ाए चिथड़े
ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव और भारतीय सैनिकों के पाकिस्तान के सैनिकों ने सारे के सारे हथियार उठा लिए। उनको यादव की जेब में रखा हुआ ग्रेनेड नहीं मिला। ग्रेनेडियर ने 15 गोलियां लगने के बाद भी ग्रेनेड की पिन हटाई और आगे की तरफ जा रहे पाकिस्तानी सैनिकों को फेंक दिया। इसमें पाकिस्तानी सैनिक की जान गई। इतना ही नहीं यादव ने पाकिस्तानी सैनिक के पास में पड़ी हुई एक रायफल को उठाया और अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए पांच पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर दिया।
इसके बाद दुश्मनों के दांत खट्टे करते हुए ग्रेनेडियर ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने साथियों को पाकिस्तानी बंकरों की लोकेशन भी भेज दी थी। इसके बाद पास में बह रहे एक नाले में वह कूद गए। उनको भारतीय सैनिकों ने वहां से निकाला और अस्पताल में भिजवाया। अदम्य साहस और सर्वोच्च कोटि के शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव को परमवीर चक्र से नवाजा गया।
कहां पर जन्में ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव
बुलंदशहर के सिकंदराबाद के अहीर गांव में 10 मई 1980 को योगेंद्र सिंह यादव का जन्म हुआ था। उनके पिता करण सिंह यादव भी सेना में ही थे। उन्होंने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था। योगेंद्र यादव के पिता कुमाऊं रेजीमेंट में थे। पिता के नक्शे कदम पर आगे बढ़ते हुए महज 16 साल की उम्र में योगेंद्र सिंह यादव सेना में भर्ती हो गए। एक खास बात यह भी है कि इसी साल 1999 में योगेंद्र यादव शादी के बंधन में बंधे थे।