करगिल युद्ध के शहीद कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी सैनिकों की दी गई बर्बर यातना के मुद्दे पर जन दबाव के आगे झुकते हुए सरकार ने अपना रुख बदलने का मन बनाया है। केंद्र सरकार ने सोमवार को पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) जाने का विकल्प तलाशे जा सकने की घोषणा की।
सरकार ने पहले कहा था कि आइसीजे जाने का रुख व्यवहार्य नहीं है। लेकिन, 1999 में करगिल में कैप्टन कालिया को पकड़ने के बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें जिस बेदर्दी से यातनाएं दीं, उन असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर इसने पुनर्विचार करने की घोषणा की है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उदयपुर में कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर वर्तमान और पिछली सरकारों के रुख की चर्चा और समीक्षा की है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘यह फैसला किया गया है कि जिस तरह से कैप्टन कालिया को प्रताड़ित किया गया वह अपने आप में असाधारण था। इसलिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा बदलेगी और सवाल करेगी कि क्या कानूनी प्रावधानों के तहत वह आइसीजे का रुख कर सकती है। अगर न्यायालय सहमति देता है तो फिर हम मुद्दे को आइसीजे ले जाएंगे’।
विदेश मंत्रालय में आधिकारिक प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से उसके रुख की वैधता को घोषित करने का अनुरोध करेगी कि भारत पाकिस्तान के साथ सशस्त्र संघर्ष, शत्रुता आदि से जुड़े विवादों के बारे में आइसीजे के अनिवार्य क्षेत्राधिकार का सहारा नहीं ले सकता क्योंकि वे राष्ट्रमंडल देश हैं।
यह रुख, जिसे सरकार ने 26 सितंबर 2013 को हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट किया था, की अब समीक्षा की गई है। सरकार असाधारण परिस्थितियों पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से रुख की वैधता पर घोषणा करने का अनुरोध करेगी। प्रवक्ता ने कहा, ‘ऐसा होने पर, सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र होगी’।
गौरतलब है कि 4 जाट रेजीमेंट के कैप्टन कालिया को पांच अन्य सैनिकों के साथ 15 मई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़ लिया था। उनका शव भारत को सौंपे जाने से पहले उन्हें बंधक बनाकर निर्मम यातना दी गई थी। उनका परिवार आइसीजे का रुख करने के लिए दबाव डाल रहा है क्योंकि इस तरह यातना दिया जाना युद्ध कैदियों के साथ व्यवहार पर जिनीवा समझौते का उल्लंघन था।
यूपीए सरकार पर इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए कैप्टन कालिया के पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां सरकार ने यह रुख अख्तियार किया था कि यह आइसीजे नहीं जा सकती क्योंकि पाकिस्तान इसके लिए राजी नहीं हो सकता। मोदी सरकार ने भी संसद में कहा था कि आइसीजे जाना व्यवहार्य नहीं पाया गया है।
इस विषय में मोदी सरकार की निष्क्रियता को लेकर जनाक्रोश होने पर सरकार ने अपना रुख बदला है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से इस मामले में 25 अगस्त तक एक हलफनामा दाखिल कर अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा है।
विदेश मंत्री ने कहा-अब तक सभी सरकारों का यह विचार रहा कि भारत और पाकिस्तान किसी भी मुद्दे पर एक-दूसरे के खिलाफ आइसीजे में नहीं जाएंगे क्योंकि हम राष्ट्रमंडल देश हैं और इसमें यह प्रावधान है कि राष्ट्रमंडल देश एक-दूसरे के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख नहीं कर सकते। इसलिए हमारे विदेश राज्यमंत्री ने इस मुद्दे पर संसद में एक सवाल का इस विचार के आधार पर जवाब दिया था। यूपीए ने इस विचार के आधार पर हलफनामा दाखिल किया था और हमने उसे दोहराया।
पिछले साल राज्यसभा में निर्दलीय सदस्य राजीव चंद्रशेखर के सवाल के जवाब में सिंह ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय अदालतों के जरिए कानूनी उपाय मांगना व्यवहार्य नहीं पाया गया। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान सेना के इन जघन्य और बर्बर कृत्यों के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान पहले ही खींचा जा चुका है जिनमें 22 सितंबर 1999 को सितंबर में न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हमारा एक बयान और छह अप्रैल 2000 को मानवाधिकारों पर आयोग को दिया गया हमारा बयान भी शामिल है।
इस मुद्दे पर बाद की सरकारों के रुख पर हताशा जाते हुए कालिया के माता-पिता ने कहा था कि उनके बेटे की मौत के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें हर संभव कार्रवाई का भरोसा दिलाया था लेकिन कुछ नहीं किया गया। शहीद सैनिक के पिता वीएन कालिया ने कहा-मुझे नहीं लगता कि पिछले 16 साल में किसी सरकार ने कोई मजबूत फैसला किया और ठोस कदम उठाया। यह कैप्टन कालिया या उनके परिवार का विषय नहीं है बल्कि पूरी सेना का विषय है जो राष्ट्र के लिए सब कुछ कर रहा है।
कालिया नहीं पूरी सेना का मामला
मुझे नहीं लगता कि पिछले 16 साल में किसी सरकार ने कोई मजबूत फैसला किया और ठोस कदम उठाया। यह कैप्टन कालिया या उनके परिवार का विषय नहीं है बल्कि पूरी सेना का विषय है जो राष्ट्र के लिए सब कुछ कर रहा है।
-शहीद के पिता वीएन कालिया
असाधारण हालात
फैसला किया गया है कि जिस तरह से कैप्टन कालिया को प्रताड़ित किया गया वह अपने आप में असाधारण था। इसलिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा बदलेगी और सवाल करेगी कि क्या कानूनी प्रावधानों के तहत वह आइसीजे का रुख कर सकती है। अगर न्यायालय सहमति देता है तो फिर हम मुद्दे को आइसीजे ले जाएंगे।
-सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री