Name Plate Controversy: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा रूट पर होटलों और रेहड़ी पटरी में दुकान रखने वालों को दुकान मालिक के नाम की नेम प्लेट लगवाने का आदेश दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही, मामले में उत्तराखंड, यूपी और एमपी सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले पर हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारे सिर माथे पर है और हम उसके आदेश का पालन भी करते हैं।

नायब सिंह सैनी ने कहा कि लेकिन जो धार्मिक प्रवृत्ति के लोग हैं और शाकाहारी को ये पता नहीं चलता कि यहां पर क्या बनता है और क्या नहीं बनता है। अगर उसके ऊपर कुछ चिन्ह वगैरह लगा होगा या लिखा होगा तो शाकाहारी है तो शाकाहारी में जाएगा और मांसाहारी है तो मासाहारी में जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से असहज महसूस कर रहे- त्रिवेंद्र सिंह रावत

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद और उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसका अपमान नहीं किया जा सकता। सरकार को कोर्ट के फैसले का पालन करना चाहिए, लेकिन पहचान क्यों छिपाई जानी चाहिए? दुकान किसकी है, इसका उल्लेख वहां किया गया है। यहां तक ​​कि सामान्य तौर पर दुकानों पर भी लिखा होता है कि उसका मालिक कौन है। तो इसे क्यों छिपाया जाना चाहिए? कोर्ट का आदेश पढ़ने के बाद हमें और जानकारी मिलेगी, लेकिन हम इस आदेश से थोड़ा असहज महसूस कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं- दिनेश शर्मा

बीजेपी सांसद और पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है, सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। लेकिन यह एक सामान्य प्रथा है, लोगों को अपनी पहचान बताने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। जब हम प्रतियोगी परीक्षा पास करते हैं और IAS अधिकारी बनते हैं, तो हम अपने नाम के साथ IAS लिखते हैं, जब हम डॉक्टर बनते हैं तो हम अपने नाम के साथ डॉक्टर लिखते हैं। वैसे भी, 40%-50% लोग दुकानों में अपना नाम लिखते हैं।

मुझे लगता है कि लोगों को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं। सरकार की प्राथमिकता है कि कांवड़ यात्रा अच्छी तरह से चले, उपद्रवी इसकी पवित्रता को नुकसान न पहुंचाएं।

सीपीआई सांसद पी संदोष कुमार ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तहे दिल से स्वागत करते हैं। यह समय पर लिया गया फैसला है। इससे उन लोगों का मनोबल बढ़ेगा जिन्होंने इसके लिए लड़ाई लड़ी। यह ऐसा मुद्दा नहीं था जो केवल यूपी और उत्तराखंड की परिधि तक सीमित है, इससे देश की छवि खराब हुई है क्योंकि हम ‘विश्वगुरु’ होने का दावा करते हैं और भारत जैसे देश में ऐसा हो रहा है। कितना शर्मनाक है।

सरकार को इससे सबक लेना चाहिए और यूपी सरकार, योगी आदित्यनाथ को इस तरह की चीजों की अनुमति देने के लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। इसलिए, मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं।