दिल्ली हाईकोर्ट ने उपकार फिल्म के गाने ‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती…’ का जिक्र करते हुए जेएनयू छात्र संघ अध्‍यक्ष कन्‍हैया कुमार को अंतरिम जमानत दे दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘इस देश ने हमें महान देशभक्त दिए हैं। हमारे देश के सैनिक दुर्गम हालात में सियाचिन, कश्मीर और अन्य बॉर्डर पर देश की रक्षा करते हैं। ऐसे में अगर देश के किसी हिस्से में कोई देशविरोधी नारे लगाता है तो उनके मन को ठेस पहुंचती है। ऐसे देश में देशविरोधी नारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं माना जा सकता। इसे कंट्रोल करने की ज़रूरत है। अगर आपके शरीर में इन्फेक्शन होता है तो दवा लेते हैं। फिर भी बात न बने तो सर्जरी कराते हैं और फिर भी लाभ न हो तो उस हिस्से को काट देते हैं।’

हाईकोर्ट ने कहा कि ‘कन्हैया न्यायिक हिरासत में रह चुका है। उसने आत्म मंथन किया होगा। ऐसे में उसे मुख्यधारा से जोड़ने के लिए रियायत देना ज़रूरी है। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कन्हैया ने बताया था कि उसकी मां 3 हजार रुपये महीना कमाती है। इस आधार पर अदालत ने बेल बॉन्‍ड की राशि मात्र 10 हजार तय की है, ताकि वो बेल बांड भर सके। कोर्ट में कन्हैया के पैरोकार और झेलम हॉस्टल के वार्डन ये सुनिश्चित करेंगे कि अगले छह महीने के दौरान कन्हैया किसी देश विरोधी कार्यक्रम में हिस्सा न ले। ये भी ध्यान देने की ज़रूरत है कि ऐसे लोग इस तरह की स्वतंत्रता का आनंद आराम से विश्वविद्यालय परिसर में ले रहे हैं। जो लोग अफ़ज़ल गुरु और मकबूल भट्ट के पोस्टर सीने से लगाकर उनकी शहादत का सम्मान कर रहे हैं और राष्ट्रविरोधी नारेबाजी कर रहे हैं, उन्हें समझ नहीं है कि दुनिया के सबसे ऊंचे ठिकानों पर लड़ाई के मैदान जैसी परिस्थियों में जहां ऑक्सीजन की इतनी कमी है वे इन कठिन परिस्थितियों का एक घंटे के लिए भी मुकाबला नहीं कर सकते। जिस तरह की नारेबाज़ी की गई है उससे शहीदों के वे परिवार हतोत्साहित हो सकते हैं जिनके शव तिरंगे में लिपटे ताबूतों में घर लौटे।’

बता दें कि दो दिन पहले सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई पर दिल्ली पुलिस ने कन्हैया की जमानत पर विरोध दर्ज कराते हुए दलील दी थी कि वीडियो में कन्हैया नारेबाजी करता नहीं दिख रहा है, लेकिन उनके पास ऐसे गवाह हैं, जिनके सामने कन्हैया ने नारेबाजी की थी। वहीं, कन्हैया के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि कन्हैया वहां पर हुई लड़ाई को सुलझाने गया था और उसने देश-विरोधी नारे नहीं लगाए। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाते हुए पुलिस से पूछा था कि कैसे कन्हैया कुमार नारेबाजी के लिए जिम्मेदार है, जब कथित तौर पर बाहरी छात्रों ने जेएनयू में आकर नारेबाजी की है? पुलिस ने दलील दी थी कि कन्हैया नौ फरवरी के कार्यक्रम में शामिल था और उसने नारेबाजी की थी।