मध्य प्रदेश में प्याज खरीद घोटाले में प्रशासनिक स्तर पर लिया गया एक निर्णय शिवराज सरकार की किरकिरी करा रहा है। बता दें कि उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों के लिए प्याज की खरीदी गई। इस खरीद में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद प्रमुख सचिव उद्यानकी कल्पना श्रीवास्तव ने एक्शन लेते हुए आयुक्त मनोज अग्रवाल से स्पष्टीकरण मांगा। जिसके बाद शनिवार रात तक IFS कल्पना श्रीवास्तव का तबादला कर दिया गया।

क्या है मामला: बता दें कि इसमें गौर करने वाली बात यह है कि मनोज अग्रवाल की जांच कल्पना श्रीवास्तव कर रही थीं। अब कल्पना का ट्रांसफर चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक उद्यानिकी विभाग द्वारा इस साल 2 करोड़ रुपए में बिना टेंडर निकाले 90 कुंतल प्याज की खरीदी की गई थी। आरोप है कि सब्जी बीज बेचने की दर 1100 रुपए प्रति किलो है तो इसे 2300 रू प्रति किलो के हिसाब से क्यों खरीदा गया?

जांच कर रही अधिकारी का हुआ ट्रांसफर: इस संबंध में आई शिकायतों पर प्रमुख सचिव उद्यानकी कल्पना श्रीवास्तव ने तत्काल एक्शन लेते हुए 18 अक्टूबर को आदेश जारी कर खरीदी के भुगतान पर रोक लगा दी। इसके साथ ही मनोज अग्रवाल से इस मामले में जवाब मांगा। मनोज अग्रवाल के खिलाफ जांच शुरू ही हुई थी कि शनिवार शाम को कल्पना श्रीवास्तव को पद से हटाने का फैसला आ गया। इसमें अचानक मनोज अग्रवाल को भी हटाने का निर्देश दिया गया है।

विपक्ष ने बताया साजिश: इस फैसले के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिस अधिकारी ने भ्रष्टाचार के मामले पर एक्शन लिया और भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश की, आखिरकार उसे क्यों पद से हटाया गया। इस मामले में अब विपक्ष मध्य प्रदेश सरकार पर हमलावर है। विपक्ष का आरोप है कि यह सब साजिश के तहत किया गया है। वहीं उद्यानकी डिपार्टमेंट की तरफ से मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस तबादले का विरोध किया गया है।

वहीं राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कल्पना श्रीवास्तव के तबादले को हैरतअंगेज बताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, “अजब और गज़ब मध्यप्रदेश, जिस प्रमुख सचिव ने प्याज घोटाला उजागर किया, उसी को विभाग से हटा दिया गज़ब है।”

उन्होंने लिखा, “शिवराज जी आप क्या संदेश देना चाहते हैं, वो अब दिख रहा है। अब चुप रहने का समय भी ख़त्म हो रहा है।” जानकारी के मुताबिक मनोज अग्रवाल के ऊपर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।

अब ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब भ्रष्टाचार का आरोप मनोज अग्रवाल पर है तो जांच करने वाली प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव को पद से क्यों हटाया गया।