हिमाचल प्रदेश में इस साल हुई भारी बरसात ने बहुत कुछ तबाह कर दिया है। इसमें 120 साल पुरानी वो हेरिटेज साइट भी है जिसे UNESCO ने भी 2008 में इसे अपनी धरोहरों की लिस्ट में शामिल किया था। भारी बारिश और चट्टानों के दरकने से इस ऐतिहासिक रेलवे लाइन की 135 जगहों पर नुकसान हुआ। जूटोग और शिमला से ऐन पहले के रेलवे स्टेशन समर हिल स्टेशन बारिश में पूरी तरह से बह गए।
ये दूसरी बार है जब इस ऐतिहासिक रेलवे लाइन को नुकसान पहुंचा है। रेलवे ने इस लाइन को बंद करते हुए इसकी मरम्मत के लिए टेंडर आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन मौसम के हाल को देखकर ये नहीं कहा जा सकता है कि मरम्मत का काम कब तक शुरू हो पाएगा।
102 सुरंगों के साथ 18 स्टेशनों से होकर गुजरती है टॉय ट्रेन
कालका के स्टेशन से टॉय ट्रेन में बैठकर शिमला की याात्रा करना वाकई एक सुखद एहसास था। रास्ते में जो सीनरी हेरिटेज ट्रेन से दिखती हैं वो बेजोड़ हैं। कालका का रेलवे स्टेशन समुद्र तल से जहां 2152 फीट ऊपर है, वहीं शिमला तकरीबन 6808 फीट पर बना है। 4 हजार से ज्यादा फीट ऊपर की तरफ 102 सुरंगों और 18 स्टेशनों से होकर जाना वाकई एक सुखद एहसास है।
ऐतिहासिक रेलवे लाइन की स्थापना अंग्रेजों के जमाने में की गई थी। उस दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी का हेड क्वार्टर कलकत्ता था। गर्मी के दिनों में यहां रहना काफी दुश्वारी भरा था। लिहाजा अंग्रेजों ने शिमला को गर्मियों की राजधानी के तौर पर विकसित किया था। अप्रैल शुरू होते की कलकत्ता से काफिला शिमला की तरफ रवाना हो जाता था। घोड़ों, बैल गाड़ियों, हाथियों और पालकियों के जरिये अंग्रेज शिमला की तरफ रवाना होते थे। हफ्तों पहले कूच की तैयारी शुरू हो जाती थी। रिचर्ड वैलेस अपनी किताब ‘Hill Railways of the Indian Subcontinent’ में लिखा है कि कालका शिमला रेलवे लाइन ने उस दौरान कागजों में अपना आकार लेना शुरू किया जब दिल्ली से कालका वाया अंबाला रेल लााइन स्थापित हो गई।
पहले 2 फुट की नैरो गेज पर चलनी थी टॉय ट्रेन, 1901 में चौड़ाई को 2 फुट 6 इंच किया गया
29 जून 1989 को एक कंपनी ने सेक्रेट्री ऑफ स्टेट के साथ करारनामा किया जिसके बाद इस रेलवे लाइन को बनाने का काम शुरू हुआ। इसकी अनुमानित लागत 86,78,500 थी। लेकिन समय के साथ ये दोगुनी हो गई। पहले इसे 2 फुट की नैरो गेज पर बनाया जाना था। लेकिन 1901 में इसके पूरा होने से पहले लाइन को 2 फुट 6 इंच कर दिय़ा गया। रेलवे लाइन की लंबाई में भी बदलाव हुआ। पहले कालका से शिमला तक ये 95.68 किमी थी। फिर इसे 96.6 किमी कर दिया गया।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने मूसलाधार बारिश के कारण हुए भारी नुकसान को राज्य आपदा घोषित करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शुक्रवार को अधिसूचना जारी की जाएगी। हिमाचल प्रदेश, राज्य में हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया की भी प्रतीक्षा कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में रविवार से भारी बारिश हो रही है, जिसकी वजह से शिमला समेत कई जिलों में भूस्खलन हुआ है।
बारिश से हिमाचल को 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि बचाव अभियान पूरे जोरों पर है। राज्य सरकार अपने संसाधनों के जरिए प्रभावित परिवारों, खासकर उन लोगों की मदद करने का प्रयास कर रही है जिनके घर अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन में क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सुक्खू ने कहा कि केंद्रीय दलों ने नुकसान के आकलन के लिए प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया है। उन्होंने कहा कि राज्य को तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।