भाजपा सांसद हुकुम सिंह की ओर से 346 हिंदुुओं के कैराणा छोड़ जाने की सूची की जांच में कई विसंगतियां सामने आई हैं। इसमें कई नाम ऐसे हैं जो मर चुके हैं, वहीं कुछ लोगों ने 10 साल पहले कैराणा छोड़ दिया था। साथ ही कई लोग नौकरी या बच्‍चों की शिक्षा के चलते बाहर चले गए। भाजपा सांसद ने आरोप लगाया था कि 346 हिंदू मुसलमानों की धमकियों और गुंडागर्दी से परेशान होकर कैराणा छोड़ गए। इंडियन एक्‍सप्रेस ने इस लिस्‍ट में 22 नामों का पता लगाया। इनमें से पांच मर चुके हैं। चार अच्‍छे अवसरों की तलाश में कैराणा छोड़कर गए, 10 परिवार 10 साल पहले गए जबकि तीन परिवार स्‍थानीय अपराधियों के डर से बाहर चले गए।

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इस बारे में जब हुकुम सिंह से बात की तो उन्‍होंने बताया, ”मुझे शिकायत मिली है कि कुछ नाम ऐसे हैं जो कई साल पहले यहां से चले गए। मंगलवार को मैं खुद इन सभी पतों को वेरिफार्इ करूंगा। पार्टी कार्यकर्ता सभी पतों पर जाएंगे। मैं एक दूसरी लिस्‍ट भी दूंगा।” सोमवार को उत्‍तर प्रदेश पुलिस और शामली जिला प्रशासन ने 118 नामों की सूची जमा कराई। इन्‍होंने भी हुकुम सिंह की ओर से दी गई लिस्‍ट की जांच की। इसमें भी पांच लोग मृत, 12 जीवित, 46 2011 के बाद गए जबकि 55 6-11 साल पहले यहां से गए।

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इंडियन एक्‍सप्रेस की जांच में सामने आए कुछ नाम:
विजय जैन की 10 साल पहले मौत हो चुकी है। उनके बेटे दीपक पांच साल से सहारनपुर में रहते हैं।

प्रवीण जैन पिछले साल अगस्‍त में कैराणा से गए। वे विजय जैन के भाई हैं। उनका बेटा, बहू और पत्‍नी बड़ौत चले गए।

अर्जुन कुमार, नवीन कुमार और बनवारी में से बनवारी की 1993 में मौत हो गई। अर्जुन दिल्‍ली में रहते हैं। वे 15 साल पहले कैराणा से गए। नवीन पानीपत में रहते हैं।
मांगेराम प्रजापति की 2001 में मौत हो गई। वे कुम्‍हार थे। कुत्‍ते के काटने के चलते उन्‍हें रेबीज हो गया था।

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ईश्‍वरचंद पानीपत चले गए। 2014 में उनसे मुकीम काला गैंग ने लोगों ने रंगदारी मांगी। इसके बाद वे परिवार समेत पानीपत चले गए।

अभय कुमार और विजय कुमार एक साल पहले सूरत चले गए। उनकी कैराणा में दुकान थी। उनके चाचा जेके मित्‍तल ने बताया कि पहले व्‍यापार के लिए माहौल खराब था। रंगदारी और हत्‍याएं आम थीं। हालांकि अभी हालात ठीक है।

जयपाल सिंह 15-20 साल पहले कैराणा से चले गए। नौकरी की तलाश में वह पानीपत चले गए।

नरेंद्र, सुरेंद्र और गोती भी कैराणा में नहीं रहते। उनका मकान अब कांग्रेस नेता आलम चौधरी के पास है। उन्‍होंने बताया कि सुरेंद्र की 10 साल पहले मौत हो गई। नरेंद्र पानीपत व गोती शाहदरा में र‍हता है।

जयकुमार धीमान और पोनी धीमान 20-22 साल पहले कैराणा से चले गए। जयकुमार मोदी नगर जबकि पोनी शाहदरा में रहते हैं।

भारत की 15 साल पहले मौत हो गई। इसके बाद उनका परिवार बाहर चला गया।