भारत और चीन के बीच धीरे-धीरे रिश्ते सुधर रहे हैं। अब व्यापार पर भी पटरी पर लौटने लगा है। द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बैठक की। भारत और चीन ने बुधवार को सीमा पार आदान-प्रदान को मजबूत करने और कैलाश-मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की दिशा में ठोस कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।

2020 से स्थगित है कैलाश मानसरोवर यात्रा

कोविड-19 महामारी और सैन्य गतिरोध के कारण 2020 से कैलाश मानसरोवर यात्रा स्थगित है। यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए केंद्र सरकार चीनी अधिकारियों के साथ कूटनीतिक रूप से बातचीत कर रहा है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा एक चुनौतीपूर्ण तीर्थयात्रा है जो राजसी तिब्बती पठार से होकर गुजरती है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में सबसे पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाने वाली यह यात्रा कैलाश पर्वत के आसपास केंद्रित है, जिसे भगवान शिव का निवास माना जाता है। कैलाश पर्वत चीन के तिब्बत क्षेत्र में स्थित है। इस चोटी पर जाने के लिए यात्री कई रास्तों से जा सकते हैं। नेपाल में काठमांडू, नेपाल में सिमिकोट और तिब्बत में ल्हासा से यहां जाया जा सकता है। भारत की ओर से चोटी पर जाने के लिए दो रास्ते हैं। पहला रास्ता लिपुलेख दर्रे (उत्तराखंड) से होकर जाता है और दूसरा रास्ता नाथू ला दर्रे (सिक्किम) से होकर जाता है।

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चीन-भारत सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों (SR) की 23वीं बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि दोनों पक्ष सीमा पार नदी सहयोग और नाथूला सीमा व्यापार को भी बढ़ावा देंगे। पांच साल बाद हुई इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सीमा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच हुए समाधान का सकारात्मक मूल्यांकन करने पर सहमति जताई। दोनों ने दोहराया कि कार्य जारी रहना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान

भारत और चीन इस मामले पर छह आम सहमति बिंदुओं पर पहुंचे, जिसमें बॉर्डर समाधान फोकस था। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन की देखरेख करने और बॉर्डर विवाद का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से समाधान तलाशने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हाल ही में कज़ान में बैठक हुई थी। बैठक के दौरान लिए गए निर्णय के अनुसार विशेष प्रतिनिधियों की बैठक हुई।” पढ़ें लद्दाख में पीछे हटने के बाद चीन ने फिर क्यों बढ़ाई भारत की चिंता