ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के साथ अपना 18 साल पुराना नाता तोड़कर बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसी खबरें हैं कि सिंधिया ने पार्टी में कथित उपेक्षा के चलते कांग्रेस छोड़ी। हालांकि अब भाजपा में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह आसान रहेगी, यह कहना थोड़ा मुश्किल है।

सिंधिया को भाजपा मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजेगी और इसके साथ ही उन्हें मोदी कैबिनेट में भी जगह मिल सकती है। हालांकि माना जाता है कि सिंधिया की इच्छा मध्य प्रदेश सीएम की कुर्सी पर काबिज होना है लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद सिंधिया की यह राह थोड़ी मुश्किल दिखाई दे रही है।

शिवराज सिंह का दबदबाः मध्य प्रदेश भाजपा में शिवराज सिंह का खासा दबदबा है। यही वजह है कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर वह सीएम पद की पहली पसंद होंगे। गौरतलब है कि शिवराज सिंह अभी कई साल सक्रिय राजनीति में रहने वाले हैं, ऐसे में सिंधिया यदि भाजपा में रहते सीएम बनने की सोच रहें हैं तो उन्हें शिवराज सिंह के तिलिस्म से पार पाना होगा, जो बेहद मुश्किल है।

इसके अलावा शिवराज सिंह के बाद भी भाजपा के पास मध्य प्रदेश में कद्दावर नेताओं की भरमार है। यही वजह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को शीर्ष पर पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करने पड़ेगी। वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस में शायद कमलनाथ के बाद सिंधिया ही सीएम पद की रेस में थे। इस तरह कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया की राह सीएम पद के लिए ज्यादा आसान कही जा सकती है।

बीजेपी का मैन मैनेजमेंट सिंधिया की फौरी तरक्की में बाधकः भाजपा पेशेवर तरीके से काम करने वाली पार्टी के तौर पर जानी जाती है, जहां परिवारवाद अभी तक ज्यादा प्रभावी नहीं रहा है। भाजपा में कई नेताओं ने छोटे स्तर पर काम करके पार्टी में अपनी जगह बनायी है। भाजपा में दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं को तुरंत ही कमान भी नहीं मिलती है। इसके कई उदाहरण भी हमारे सामने हैं।

यही वजह है कि धुर विरोधी पार्टी कांग्रेस से आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी भाजपा की इस अघोषित नीति के हिसाब से ही चलना होगा। ऐसे में सिंधिया, जिन पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपनी ‘व्यक्तिगत आकांक्षाओं’ के चलते कांग्रेस छोड़ी, उनके लिए भाजपा में आते ही शीर्ष स्तर पर अपनी जगह बनाना बेहद मुश्किल होगा।