मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को झटका देते हुए पार्टी के प्रमुख चेहरे रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हो सकते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को नेहरू-गांधी परिवार को करीबी माना जाता था। लेकिन सिंधिया के परिवार को भाजपा के साथ भी गहरा नाता रहा है। बता दें कि सिंधिया परिवार पारंपरिक तौर पर भाजपा का समर्थक रहा है।

सिंधिया की दादी राजमाता विजया राजे सिंधिया भाजपा की प्रमुख नेता थीं। उनके अलावा सिंधिया की रिश्तेदार यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया भी भाजपा की सदस्य हैं।

वहीं राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपना पहला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था, लेकिन बाद में वह जनसंघ के साथ जुड़ गईं और पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शुमार रहीं।

साल 1967 में विजयाराजे सिंधिया ने मध्य प्रदेश की डीपी मिश्रा की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभायी थी। जिसके बाद ही मध्य प्रदेश में पहली गैर-कांग्रेस सरकार का गठन हुआ था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया भी पहली बार साल 1971 में जनसंघ के टिकट पर ही संसद में पहुंचे थे। हालांकि राजीव गांधी के साथ निकटता होने के चलते माधवराव सिंधिया ने बाद में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी थी और अपनी खुद की पार्टी मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस का गठन कर लिया था। हालांकि बाद में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

 

ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया का 30 सितंबर 2001 को विमान हादसे में निधन हो गया था। इसी साल ज्योतिरादित्य कांग्रेस में शामिल हुए। 1 जनवरी 1971 को जन्मे सिंधिया ने 1993 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की डिग्री ली। 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए की डिग्री ली।

फरवरी 2002 में गुना सीट पर उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में इसी सीट से वे दोबारा चुने गए। 28 अक्टूबर 2012 से 25 मई 2014 तक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे।