Yashwant Verma Impeachment: जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर जले हुए नोटों के विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट की प्राइमरी जांच में उन्हें दोषी बताया गया था। उन्हें इस्तीफा देने या फिर महाभियोग का सामना करने का विकल्प दिया गया था। जस्टिस वर्मा ने इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ऐसे में वक्त में जब जस्टिस वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश होने का अनुमान है, तो इस दौरान ही केंद्रीय कानून मंत्री ने जजों को पद से हटाने को लेकर बड़ा बयान दिया है।
दरअसल, न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों को उनके पद से हटाने का अधिकार देश की संसद के पास है, जो कि एक संवैधानिक अधिकार हैं। उन्होंने कहा कि जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाना है या नहीं, यह अधिकार संसद के पास ही हैं।
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‘सांसदों के पास हैं सारे अधिकार’
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस मामले में जोर देक कहा कि महाभियोग प्रस्ताव लाने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और इस तरह के किसी भी कदम का नेतृत्व सांसदों द्वारा स्वतंत्र रूप से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से सांसदों का मामला है। सरकार इसमें शामिल नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित 25 पृष्ठों की रिपोर्ट के मुताबिक, 14 मार्च को कथित तौर पर शॉर्ट-सर्किट के कारण लगी आग की घटना के बाद जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास से नोटों से भरे आंशिक रूप से जले हुए बोरे मिले थे। जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया है कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने घटनास्थल पर नकदी रखी थी।
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सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट को रद्द करने की लगाई याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज ने अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य ठहराने और तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा उन्हें हटाने की सिफ़ारिश को रद्द करने की मांग की है। नियम कानून की बात करें तो भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी जज पर महाभियोग चलाने के लिए कम से कम 100 लोकसभा सदस्यों या 50 राज्यसभा सदस्यों का समर्थन आवश्यक है।
कानून मंत्री मेघवाल ने दोहराया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से विधायी प्रकृति की है। उन्होंने पुष्टि की कि कुछ सांसदों ने प्रस्ताव पेश करने में रुचि दिखाई है। अनुमान है कि 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के आगामी मानसून सत्र में यह मामला तूल पकड़ने की संभावना है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी के सांसद इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे।
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