नूंह हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के डीजीपी से कह रहा था कि आप एक कमेटी बना सकते हैं जो हिंसा की जांच करे। एक पत्रकार की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई फायदा नहीं। FIR होगी पर एक्शन नहीं।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से निर्देश लेने और 18 अगस्त तक डीजीपी की समिति के बारे में सूचित करने को कहा। बेंच ने कहा कि समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। नफरती भाषण को कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता। बेंच ने कहा कि हम डीजीपी से उनके द्वारा नामित तीन या चार अधिकारियों की एक समिति गठित करने के लिए कह सकते हैं, जो एसएचओ से सभी जानकारियां प्राप्त करेगी और उनका अवलोकन करेगी। जानकारी प्रामाणिक है, तो संबंधित पुलिस अधिकारी को उचित निर्देश जारी करेगी। एसएचओ और पुलिस स्तर पर पुलिस को संवेदनशील बनाने की जरूरत है।
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को वीडियो सहित सभी सामग्री एकत्र कर नोडल अधिकारियों को सौंपने का भी निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान, नटराज ने कहा कि भारत सरकार भी नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ है। इसकी पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने का तंत्र कुछ जगहों पर काम नहीं कर रहा है।
पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की याचिका में उच्चतम न्यायालय के दो अगस्त के उस आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकारें और पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई नफरत भरा भाषण न दिया जाए और कोई हिंसा न हो या संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाए। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि लोगों को नफरत भरे भाषणों से बचाने की जरूरत है। जब बेंच ने सिब्बल से एक डीजीपी की समिति गठित करने के विचार के बारे में पूछा उनका कहना था कि मेरी दिक्कत यह है कि जब कोई दुकानदारों को अगले दो दिन में मुसलमानों को बाहर निकालने की धमकी देता है तो यह समिति मदद नहीं करने वाली है।
सिब्बल ने कहा कि पुलिस कहती रहती है कि FIR दर्ज कर ली गई है, लेकिन अपराधियों को कभी गिरफ्तार नहीं किया जाता। अरेस्ट होते भी हैं तो उन पर मुकदमा नहीं चलाया जाता। सिब्बल ने कहा कि समस्या केस दर्ज करने की नहीं है। समस्या यह है कि क्या प्रगति हुई? वो किसी पर मुकदमा नहीं चलाते हैं। FIR दर्ज होने के बाद कुछ नहीं होता।