तेलंगाना सरकार की ओर से ऊर्जा के क्षेत्र में अनियमितताओं को लेकर कराई जा रही जांच जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी के नेतृत्व में हो रही थी। लेकिन बीते दिनों रेड्डी द्वारा दिए गए बयान के वजह से मामला गर्मा गया। बढ़ते मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस रेड्डी को फटकार लगाई। सर्वोच्च अदालत ने रेड्डी पर निष्पक्षता के मानदंडों के उल्लघंन करने की बात कही थी। जिसके बाद जस्टिस रेड्डी ने आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।

वर्तमान समय में तेलंगाना में रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार है। जबकि इससे पहले बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव तेलंगाना के मुख्यमंत्री थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बिजली क्षेत्र में अनियमितता करते हुए सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया है। जिसको लेकर जांच चल रही है।

केसीआर का मामला देख रहे वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जस्टिस रेड्डी जांच आयोग के अध्यक्ष हैं। उन्होंने बीते 16 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के बारे में टिप्पणी की थी। जो उनके पक्षपातपूर्ण रवैया को दर्शाया था। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जस्टिस रेड्डी के टिप्पणी पर आपत्ति जताई।

केसीआर के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस पूरे जांच प्रक्रिया में राजनीतिक प्रतिशोध की दुर्गंध हो रही है। केसीआर ने ऐसा कौन सा गुनाह किया है। जिस वजह से उन्हें इस तरह राजनीतिक प्रतिशोध का सामना करना पड़ रहा है। जस्टिस रेड्डी के इस्तीफा की जानकारी वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने अदालत को यह जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी कि तेलंगाना सरकार सोमवार तक आयोग के नए अध्यक्ष का ऐलान कर देगी।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने केसीआर के वकील मुकुल रोहतगी की दलीलों पर सहमती दी। हालांकि तेलंगाना सरकार की ओर से मामला देख रहे सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रोहतगी के दलीलों का खंडन किया।